अपठित गद्यांश कक्षा 9 हिंदी mcq |Apathit gadyansh mcq with answers class 9th
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Apathit gadyansh mcq with answers class 9th
आप भी अगर कक्षा 9वीं के छात्र है और आप अपठित गद्यांश(Apathit gadyansh)की तैयारी कर रही है तो आप सभी छात्रों के लिए यहां पर हम Class 9th के लिए अपठित गद्यांश(class 9th Apathit gadyansh) लेकर आ चुके हैं ।आपको अपठित गद्यांश किस तरीके से पढ़ना है सारी जानकारी इस पोस्ट में आपको मिलने वाली है। कक्षा 9वीं अपठित गद्यांश हिंदी पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए आप इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें। कक्षा 9वी अपठित गद्यांश(Apathit gadyansh) को अच्छी तरीके से Solve करने के लिए यहां पर आपको नीचे एक Apathit gadyansh दिया गया है । जिससे आप Apathit gadyansh को अच्छी तरीके से हल कर पाएंगे।अपठित गद्यांश कक्षा 9 हिंदी mcq pdf download।
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अभ्यास -8
अमल धवल ग गिरि के शिखरों पर बादल को घिरते देखा है
छोटे मोटे मोती जैसे उनके शीतल तुहिन कणो को
मानसरोवर की उन स्वर्णिम कमलो पर गिरते देखा है
तुंग हिमालय की कंधो पर छोटी बड़ी कई झीले हैं
उनके श्यामल श्यामल नील सलिल मे
समतल देशों से आ आकर ।
पावस की अमस से आकुल
तिक्त मधुर - विस - ततु खोजते हँसो को तितरे देखा है
एक दूसरे से विरहित हो
अलग-अलग रह कर ही जिनको
सारी रात बितानी होती
निशा काल के चिर अभिशापित
बेबस उस चकवा चकई का
बन्द हुआ कंदन , फिर उनमे
उस महान सरवर के तीरे
शैवालो की हरी दरी पर प्रणय कलय छिड़ते देखा है
प्रश्न (क ) कवि ने बादलों को कहां गिरते देखा है ?
(ख) चिर अभिशापित चकवा - चकई श्राप के कारण क्या करने को विवश है?
(ग ) कवि ने वारि कणो को कहाँ गिरते देखा है? चे वारि कण कैसे है ?
(घ ) गर्मी से परेशान हंस कहां जाते हैं और क्या करते हैं ?
(ङ) कवि ने चकवा चकई को कब कहा और क्या करते हुए देखा है?
उत्तर - ( क ) कवि ने बादलों को पर्वत के निर्मल एंव सफेद शिखरों पर गिरती देखा है ।
(ख ) चिर अभिशापित चकवा - चकई श्राप के कारण
एक दूसरे से अलग रह कर रात बिताने की लिए विवश हैं ।
(ग) कवि ने वारि कणो को मानसरोवर मे खले हुए स्वर्णिमि आभायुक्त कमलो परगिरते दिखा है ये वारि कण छोटे मोटे मोतियो जैसे अतिशीलत है ।
(घ ) गर्मी से परेशान हंस तुम हिमालय के कंधे पर स्थित छोटी बड़ी झील में आ जाते हैं यह हंस झील के स्वच्छ सांवले शीतल जल में तीखे मीठे कमल नाल के अंदर के रेशो को खोजते हैं ।
(ङ) कवि ने चकवा - चकई को प्रातः काल बडे से सरोवर की किनारे देखा है यह पक्षी युगल रात भर एक दूसरे से ना मिल पाने के कारण अब सरोवर के शैवाल पर प्रणय कलह कर रहा है |
अभ्यास - 9
सच हम नहीं सच तुम नहीं
सच है महज संघर्ष ही
संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या तुम ।
जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यो वृंत से झर कर कुसुम ।
जो लक्ष्य भूल रुका नहीं ।
जो हार देख झुका नहीं ।
प्रश्न - ( क ) उपयुक्त पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए
(ख ) कवि ने अनुसार सच क्या कहा है ?
(ग ) कवि मृत किसे मानता है ?
(घ ) संघर्ष से डरने वाले की तुलना कवि ने किसी की है
(ड ) इस पद्याश से आपको क्या सीख मिलती है ?
उत्तर -
(क ) शीर्षक -जीवन में संघर्ष का मतलब । "
(ख ) कवि ने अनुसार संघर्ष ही सच है ।
(ग ) कवि संघर्ष से डरने वाले को मृत मानता है ।
(घ ) संघर्ष से डरने वाली की तुलना कवि ने डाली से गिरे फूल से की है ।
(ङ) इस पद्यांश से हमे यह सीख मिलती है कि जो अपनी लक्ष्यसे पीछे ना हटकर संघर्ष करता है वही जीवन में जीत हासिल करता है ।