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Apathit gadyansh mcq with answers class 9th|अपठित गद्यांश कक्षा 9 हिंदी pdf डाउनलोड

Apathit gadyansh mcq with answers class 9th|अपठित गद्यांश कक्षा 9 हिंदी अभ्यास -4 pdf डाउनलोड

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apathit gadyansh mcq with answers class 9th

आप भी अगर कक्षा नौवीं के छात्र न और आप अपठित गद्यांश की तैयारी कर रही है तो आप सभी छात्रों के लिए यहां पर हम कक्षा नवी के लिए अपठित गद्यांश लेकर आ चुके हैं आपको अपठित गद्यांश  किस तरीके से पढ़ना है सारी जानकारी इस पोस्ट में आपको मिलने वाली है। कक्षा नौवीं अपठित गद्यांश हिंदी पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए आप इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें। कक्षा नवी अपठित गद्यांश को अच्छी तरीके से सॉल्व करने के लिए यहां पर आपको नीचे एक अपडेट कर दिया गया है साथ में उसके जिससे आप अपने ही अच्छी तरीके से हल कर पाएंगे।अपठित गद्यांश कक्षा 9 हिंदी mcq 2023 pdf download।

              

     अभ्यास -4


  इस संसार को कार्यक्षेत्र कहा गया है सारी सृष्टि कर्मरत है ।छोटे से छोटा प्राणी भी कर्म का शाश्वत संदेश दे रहा है ।राती के साम्राज्य में कहीं भी अकर्मण्यता। के दर्शन नहीं हो रहे हैं ।सूर्य चंद्र पृथ्वी ग्रह नक्षत्रादि निरंतर गतिशील है ।नियमनुकूल सूर्य उदय होता है और सूर्य शतक किरणें प्रकाश बिखेरती रहती हैं ।रात्रि कालीन आकाश में तारावली तथा नक्षत्रावली का सौंदर्य विहँस उठता है। क्रमश : बढ़ती घटती चंद्रकला के दर्शन होते हैं इसी तरह विभिन्न ऋतुओ का चक्र अपनी धुरी पर चलता रहता है नदियां अविरल गति से बहती रहती हैं ।

   

    इतिहास साक्षी है कि कितने ही भारतीय युवकों ने कर्म शक्ति के बल का चंद्रगुप्त की भांति शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की आधुनिक युग में भारत जैसे विशाल जनतंत्र की स्थापना करने वाले गांधी सुभाष नेहरू पटेल आदि कर्म पथ पर दृढ़ता के ही प्रतिरूप थे दूसरी ओर इतिहास उन सम्राटों को भी रेखांकित करता है अकर्मण्यता  के कारण महान साम्राज्य नष्ट हो गए ।


प्रश्न - ( क ) उपयुक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए ।

       (   ख ) ग्रह नक्षत्रादि का विग्रह कर समास का नाम बताइए |

     (  ग ) इस संसार को कार्यक्षेत्र की संज्ञा क्यों दी गई है ?

     (  घ ) प्रकृति की कर्म शीलता के क्या-क्या उदाहरण दिए गए हैं ?

   (  ड ) इतिहास में कर्मशीलता  संबंधी किन महापुरुषों के उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं ?

उत्तर - (क ) शीर्षक - कर्मशीलता की महत्ता ।

         (ख ) ग्रह -नक्षत्रादि ग्रह और नक्षत्रादि =  द्वंद समास l

         ( ग ) इस संसार को कार्यक्षेत्र की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि यहां सारी सृष्टि अपने अपने कार्य में लगी है छोटे बड़े सभी प्राणी कार्य में लगे हैं कोई भी अकर्मण्य नहीं है ।

      (  घ ) प्रकृति कर्मशीलता के कई उदाहरण दिए गए हैं जैसे सूर्य चंद्रमा पृथ्वी ग्रह आदि गतिशील होना समय पर सूर्योदय और सूर्यास्त होना समय पर चांद तारे निकलना ऋतु - चक्र का चलना और नदियों का निरंतर बढ़ते जाना ।

       ( ङ) इतिहास में  कर्मशीलता संबंधी चंद्रगुप्त गांधी नेहरू सुभाष पटेल जैसे कर्म पथ पर डटे रहने वाले महापुरुषों के उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं '




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