Ba 1st Year History Notes Pdf Unit 2| BA 1st Year History Notes PDF Chapter 2| Unit 2 BA 1st Year Notes PDF Free Download In Hindi 2025
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Ba 1st year History Notes Chapter 2 : Syllabus
वैदिक संस्कृति• वैदिक काल - सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन।• श्रमण संस्कृति - जैन एवं बौद्ध परंपराएँ एवं अन्य मत।• 6वीं सदी ई.पू. में जनपद, महाजनपद एवं गणराज्य। मगध का उत्कर्ष।•बाह्य आक्रमण एवं प्रतिरोध।
BA 1st Year History Notes Pdf chapter 2- वैदिक संस्कृति पर नोट्स
1. वैदिक काल: सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन
सामाजिक जीवन:
👉 वैदिक समाज जातियों (वर्ण व्यवस्था) में बंटा था।
चार प्रमुख वर्ण: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
🔴 ब्राह्मण – धार्मिक और धार्मिक कार्यों के संपादन में संलग्न।
🔴 क्षत्रिय – युद्ध और शासन के कार्यों में संलिप्त।
🔴 वैश्य – व्यापार और कृषि कार्यों में संलिप्त।
🔴 शूद्र – श्रमिक वर्ग, जो अन्य वर्णों की सेवा करते थे।
👉स्त्रियों का समाज में सम्मान था, लेकिन धीरे-धीरे उनका स्थान कम हुआ।
👉परिवार की इकाई मुख्य रूप से पिता के नेतृत्व में होती थी।
राजनीतिक जीवन:
राजा की सत्ता प्रमुख थी, लेकिन शासन की प्रक्रिया में जनता की सहभागिता भी थी। राजाओं के चुनाव के लिए जनसभा का आयोजन किया जाता था। युद्धों और संघर्षों का महत्व बहुत अधिक था, जैसे ऋग्वेद में वर्णित इन्द्र और अन्य देवताओं से संबंधित युद्धों का उल्लेख मिलता है।
👉 राजनीति में जनतंत्र का अस्तित्व था, लेकिन राजा की सत्ता प्रमुख थी।
👉'राजा' का चुनाव जनसभा में होता था।
👉 सभा और समितियों का महत्व था, जहाँ निर्णय लिए जाते थे।
👉युद्ध और संघर्ष का बहुत महत्व था, जिसका वर्णन ऋग्वेद में मिलता है।
आर्थिक जीवन:
इस काल में कृषि मुख्य आजीविका का स्रोत था। साथ ही व्यापार और धातुकर्म भी प्रमुख थे। व्यापार में विशेष रूप से पशुधन और कृषि उत्पादों का आदान-प्रदान होता था। गौ का महत्व न केवल धार्मिक, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बहुत अधिक था।
👉कृषि मुख्य आजीविका का स्रोत थी।
👉 व्यापार भी प्रचलित था, विशेषकर पशुधन और कृषि उत्पादों का।
👉 धातुकर्म, वस्त्र निर्माण, और मृद्भाण्ड भी प्रमुख आर्थिक गतिविधियाँ थीं।
👉 गौ का महत्व था, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण थी।
धार्मिक जीवन:
वैदिक धर्म में यज्ञ और अनुष्ठान की महत्वपूर्ण भूमिका थी। देवताओं की पूजा की जाती थी, जैसे इन्द्र, अग्नि, वरुण, सूर्य आदि। यज्ञों के माध्यम से देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता था।
👉 वैदिक धर्म का मुख्य आधार यज्ञ था।
👉देवताओं की पूजा की जाती थी, जैसे इन्द्र, अग्नि, वरुण, सूर्य आदि।
👉उपास्य देवताओं की पूजा हेतु यज्ञ, हवन और अनुष्ठान होते थे।
👉वेदों में उचारित मन्त्रों के माध्यम से देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रक्रिया थी।
2. श्रमण संस्कृति - जैन एवं बौद्ध परंपराएँ एवं अन्य मत
वैदिक संस्कृति के बाद भारत में कुछ अन्य धार्मिक परंपराओं ने जन्म लिया, जिनमें जैन धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य मत प्रमुख थे। इन परंपराओं ने समाज में नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
जैन धर्म:
👉 जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव हैं परंतु वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को माना जाता है।
👉अहिंसा पर जोर, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह के पाँच मुख्य नियम।
👉 आत्मा की शुद्धि हेतु तप, उपवासी और ध्यान की प्रथा।
👉 पुनर्जन्म और कर्म सिद्धांत पर आधारित।
बौद्ध धर्म:
👉 गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित।
👉‘चार आर्य सत्य’ और ‘अष्टांगिक मार्ग’ पर आधारित।
👉कर्म और पुनर्जन्म का सिद्धांत।
👉तृष्णा (इच्छाओं) का नाश करके निर्वाण की प्राप्ति।
👉साधारण जीवन, अहिंसा, और ज्ञान प्राप्ति पर बल।
अन्य मत:
👉चार्वाक दर्शन: भौतिकवाद पर आधारित, जो केवल भौतिक सुखों को ही जीवन का उद्देश्य मानता है।
👉आगम दर्शन: अस्तित्व और आत्मा के संबंध में विचार करते थे
3. 6वीं सदी ई.पू. में जनपद, महाजनपद एवं गणराज्य - मगध का उत्कर्ष
जनपद और महाजनपद:
👉जनपद छोटे-छोटे राज्य होते थे, जिनका विकास समय के साथ हुआ।
👉महाजनपद 16 प्रमुख राज्यों का समूह था, जो उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए थे।
👉इन महाजनपदों का आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से बड़ा महत्व था।
गणराज्य:
👉 गणराज्य वे राज्य थे जहाँ राजशाही के बजाय लोकतांत्रिक पद्धतियों का पालन किया जाता था।
👉इनका शासन समितियों और जनसभा के माध्यम से होता था।
👉 कुछ प्रमुख गणराज्य जैसे लिच्छवी, वज्जि, मल्ल थे।
मगध का उत्कर्ष:
👉मगध राज्य ने कई दशकों तक शक्तिशाली होने का प्रदर्शन किया।
👉 इसने बिहार और उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से को अपने अधीन किया।
👉महापद्मनंदन के नेतृत्व में मगध ने अपनी शक्ति को और बढ़ाया।
👉चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा मौर्य साम्राज्य की नींव रखी गई थी।
4. बाह्य आक्रमण और प्रतिरोध
सैन्य आक्रमण:
👉वैदिक काल के बाद विभिन्न आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया।
👉शकों, कुषाणों, हूणों का भारत में आगमन हुआ।
प्रतिरोध:
👉इन आक्रमणों के खिलाफ भारतीय राजाओं और साम्राज्यों ने प्रतिरोध किया।
👉मौर्य साम्राज्य के बाद गुप्त साम्राज्य ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति की रक्षा की।
👉भारत ने बाह्य आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी युद्ध नीति में सुधार किया।
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