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Ba 1st Year History Notes Pdf Unit 3 : फ्री में डाउनलोड करें

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Ba 1st year Unit 3  Notes Download:

तृतीय इकाई 

  • मौर्य काल
  • मौर्य राजवंश – चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक और उसका धर्म, मौर्य प्रशासन, मौर्य साम्राज्य का अपकर्


मौर्य राजवंश

मौर्य राजवंश भारत का प्रथम सर्वभारतीय साम्राज्य था जिसकी स्थापना 322 ई.पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने की। इस काल में राजनीतिक एकीकरण, सक्षम प्रशासन, आर्थिक विस्तार तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विकास हुआ। मौर्य साम्राज्य का उत्कर्ष अशोक के शासन में हुआ।


चन्द्रगुप्त मौर्य

  • स्थापना: 322 ई.पू. में मगध के नंद वंश को अपदस्थ कर सिंहासन प्राप्त किया।

  • गुरु और सलाहकार: चाणक्य (कौटिल्य) जिन्होंने अर्थशास्त्र की रचना की।

  • प्रमुख उपलब्धियाँ:

    • उत्तर-पश्चिमी भारत से सिकंदर के उत्तराधिकारियों (सेल्यूकस निकेटर) को पराजित किया।

    • सेल्यूकस से संधि कर उससे सिंधु के पश्चिमी प्रदेश प्राप्त किए तथा राजदूत मेगस्थनीज़ को पाटलिपुत्र भेजा गया।

  • शासन शैली: सुदृढ़ केंद्रीकृत प्रशासन।

  • जीवन का अंत: जैन परंपरा के अनुसार, उन्होंने जैन धर्म अपनाकर श्रवणबेलगोला में संन्यास ग्रहण किया।


अशोक

अशोक मौर्य साम्राज्य का महानतम शासक माना जाता है। कaling युद्ध (261 ई.पू.) के बाद उनमें नैतिक व आध्यात्मिक परिवर्तन आया।

अशोक का धर्म (धम्म)

अशोक का धम्म कोई नया धर्म नहीं था, बल्कि नैतिक-सामाजिक सिद्धांतों का संग्रह था:

  • अहिंसा

  • प्राणियों के प्रति दया

  • सहिष्णुता

  • सम्मान, सत्यवादिता

  • प्रजा के कल्याण की भावना

  • धार्मिक सहिष्णुता (सर्वधर्म समभाव)

धम्म प्रचार के साधन

  • शिलालेख व स्तंभलेख

  • धम्ममहामात्रों की नियुक्ति

  • यात्राएँ और संदेश

अशोक के कार्य

  • कलिंग विजय के बाद युद्ध नीति छोड़ी— “विजिगीषा से धम्मविजय की ओर”

  • सामाजिक सुधार—पशु हिंसा में कमी, अस्पतालों/सड़कों का निर्माण

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध—श्रीलंका, मध्य एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया में धम्म का प्रसार

मौर्य प्रशासन

मौर्य प्रशासन अत्यंत व्यवस्थित और केंद्रीकृत था।

मुख्य विशेषताएँ

  • राजा: सर्वोच्च शक्ति, परंतु सलाहकार निकायों की सहायता से शासन।

  • मंत्रिपरिषद्: नीतियाँ निर्धारित करती थी।

  • केंद्र प्रशासन: महत्वपूर्ण विभाग—राजस्व, सेना, वाणिज्य, खनिज, कृषि, गोशालाएँ, वनोपज आदि।

  • अमात्य व तंत्री (अधिकारी वर्ग): कौटिल्य के अर्थशास्त्र में विस्तृत वर्णन मिलता है।

  • जनपद/प्रांत प्रशासन: साम्राज्य को प्रांतों में विभाजित किया गया—उत्तरा-पथ, दक्षिणापथ, पूर्व, पश्चिम इत्यादि।

  • नगर प्रशासन: पाटलिपुत्र में 6 समितियाँ—मेगस्थनीज़ द्वारा वर्णित।

  • सैन्य प्रशासन: विशाल सेना—पैदल, घुड़सवार, हाथी, रथ।

  • राजस्व: भूमि राजस्व प्रमुख था; व्यापार-कर, शुल्क, दंड आदि अन्य स्रोत।



मौर्य साम्राज्य का अपकर्ष (पतन के कारण)

मौर्य साम्राज्य का पतन 185 ई.पू. के आसपास हुआ। मुख्य कारण—

अंतर्गत (आंतरिक) कारण

  1. केंद्रीकृत शासन की कमजोरी – व्यापक साम्राज्य नियंत्रित करना कठिन।

  2. अशोक की धम्म नीति – कुछ इतिहासकारों के अनुसार, युद्ध नीति छोड़ना सीमाओं की रक्षा में समस्या बना।

  3. आर्थिक भार – कल्याणकारी और प्रशासनिक खर्च का दबाव।

  4. अयोग्य उत्तराधिकारी – अशोक के बाद के शासक प्रभावहीन थे।

  5. प्रांतीय विद्रोह – स्थानीय शक्तियों का उदय।



बाह्य कारण

  1. यूनानी-शक-कुशाण आदि का आक्रमण

  2. साम्राज्य की सीमाओं की रक्षा में कमजोरी

तत्काल कारण

  • अंतिम शासक बृहद्रथ की हत्या सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की, जिससे मौर्य साम्राज्य का अंत हुआ।



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चतुर्थ इकाई

उत्तर मौर्य काल

  • शुंग काल – शुंग एवं पुष्यमित्र शुंग, कण्व वंश
  • सातवाहन वंश
  • शकों एवं ग्रीक-गंधार प्रभाव, कुषाण वंश (विशेषकर कनिष्क)


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