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CG board 12th accountancy assignment-5 solution November 2021-22:

CG board 12th accountancy assignment-5 solution December 2021-22:

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CG  Board assignment 5 Class 12th  accountancy  subjects download PDF November 2021:

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CG Board assignment 5 Class 12  accountancy  solution PDF November 2021-22 :

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Note- अभी इस पोस्ट पर काम चल रहा है बहुत जल्द सभी प्रश्नों के उत्तर अपडेट कर दिए जाएंगे।


CG board assignment 5 Class 12 solution All subject Solution November 2021-22

Assignment- 5

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छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर

शैक्षिक सत्र 2021 22 माह नवंबर

असाइनमेंट -04

कक्षा - बारहवीं

विषय -अर्थशास्त्र


निर्देश: दिए गए प्रश्नों को ध्यान पूर्वक हल कीजिए।

.

प्रश्न 1. बंद अर्थव्यवस्था में आय कि चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर . बंद अर्थव्यवस्था से तात्पर्य उस अर्थव्यवस्था से है जिसमें आर्थिक गतिविधियां देश की सीमा तक ही सीमित रहती हैं। ऐसी अर्थव्यवस्था का विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं से कोई संबंध नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में बंद अर्थव्यवस्था वाले देश के सामने ना तो आयातो के भुगतान की समस्या होती है और ना ही निर्यातो से प्राप्त होने वाली आय की समस्या होती है। ऐसी अर्थव्यवस्था में विदेशी ऋण लिया जाता है और दिया जाता है।

 ऐसी दशा में बंद अर्थव्यवस्था में आए के चकरी प्रभाव के चार घटक होते हैं -


1.पारिवारिक आय-   परिवार की सदस्य उत्पादन के साधन की स्वामी होती हैं और वे उत्पादन क्षेत्र को अपनी सेवाएं प्रदान कर आए प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त परिवारों को तथा सरकार द्वारा सार्वजनिक सेवाओं पर महत्व आज स्थानांतरण के रूप में प्रवाह होता है। अतः परिवारिक आए के दिन प्रभाव होते हैं -

अ . साधन का पुरस्कार,

ब . सरकार द्वारा सेवाओं पर व्यय एवं

स . राज्य का स्थानांतरण |

इन प्रभावों से प्राप्त आय परिवार उत्पादन क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं को क्रय करने के लिए व्यय करते हैं। यह आय का कुछ भाग करों के रूप में सरकार को देते हैं और शेष बचत की पूंजी बाजार में प्रवाहित कर देते हैं। कुल मिलाकर अपनी आय को उपभोग कर और बचत के रूप में प्रवाहित करते हैं। .


2. उत्पादन क्षेत्र की आय-  उत्पादन क्षेत्र द्वारा उत्पादन की गई वस्तुओं एवं सेवाओं पर सरकार को विक्रय कर के रूप में आय प्राप्त होती है। इस क्षेत्र में अनुदान एवं सहायता के रूप में भी आय प्राप्त होती है। साथ ही पूंजी बाजार से भी विनियोग के रूप में आय प्राप्त होती है। इसके विपरीत उत्पादन क्षेत्र से आए का प्रभाव परिवारों, केंद्र राज्य तथा स्थानीय सरकारों एवं पूंजी बाजार को होता है।


3. सरकार :  सरकार की आय का प्रभाव परिवारों उत्पादन क्षेत्र तथा पूंजी बाजार की ओर होता है। राज्य की ओर से परिवारों को होने वाला आय प्रवाह सामाजिक सेवाओं के आए स्थानांतरण के रूप में होता है । उत्पादन क्षेत्र की ओर आय का यह प्रभाव वस्तुओं व सेवाओं पर व्यय तथा उत्पादन क्षेत्र को दी जाने वाली आर्थिक सहायता के रूप में होता है। इसके साथ ही राज्य की बचते हैं पूंजी बाजार की ओर प्रभावित होती हैं। इसके विपरीत राज्य की ओर आय का प्रभावी होता है। राज्य की आय का प्रवाह यातायात कर उत्पादन क्षेत्रों के कार्य तथा पूंजी बाजार के कार्यों से प्राप्त आय के रूप में होता है।


4.पूंजी बाजार : पूंजी बाजार से दांत पर उस वित्तीय संस्था से हैजो बजते एकत्रित कार उत्पादन कार्यों के लिए प्रवाहित करता है। पूंजी बाजार में आएगा प्रभा व्यक्तिगत बचता व्यवसायिक वस्तु एवं राज्य की वस्तुओं से होता है और पूंजी बाजार से बच्चों का प्रवाह उत्पादन क्षेत्र में विनियोग एवं राज्य का प्रदान किए जाने वाले ऋण के रूप में होता है।

प्रश्न 2. आय के चक्रीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं? आय के चक्रीय प्रभाव को समझाइए।


प्रश्न-2 आय के चक्रीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं ?आय के चक्रीय प्रवाह का महत्व समझाइए।


उत्तर-  आय के चक्रीय प्रवाह से आशय मुद्रा एवं पदार्थ तथा सेवाओं के निरंतर प्रवाह से है। आय का चक्रीय प्रवाह अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जैसे परिवार, फर्म, सरकारी क्षेत्र से जुड़ा रहता है। उदाहरण के लिए फर्में पहले आय सृजित करती हैं। तत्पश्चात यह आए परिवारों में साहब सेवा प्रदान करने के लिए वितरित की जाती हैं और अंत में वही आय फर्मों के पास वापस आ जाती है। यही आय का चक्रीय प्रवाह कहलाता है।


चक्रीय आय प्रभावों का महत्व दर्शाने वाले प्रमुख बिंदु- 


1- राष्ट्रीय आय का अनुमान- देश की राष्ट्रीय आय की गणना करने में मुद्रा प्रवाह का अध्ययन बहुत उपयोगी है ।


2- अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली का ज्ञान इसके द्वारा हमें यह मालूम हो जाता है कि अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से कार्य कर रही है या नहीं।


3- मौद्रिक नीति का महत्व- चक्रीय प्रवाह अर्थव्यवस्था में बचत तथा विनियोग की समानता के दृष्टिकोण से मौद्रिक नीति के महत्व को स्पष्ट करती है।


4- राजकोषीय नीति का महत्व चक्रीय आए प्रवाहो के अध्ययन के द्वारा  अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने की दृष्टि से राजकोषीय नीति का महत्व स्पष्ट हो जाता है।


5- असंतुलन की समस्याओं का अध्ययन चक्रीय प्रवाहो के द्वारा असंतुलन के कारणो तथा उनके दूर करने के उपायों का अध्ययन किया जा सकता है।



प्रश्न-3 


उत्तर - राष्ट्रीय आय = वेतन एवं मजदूरी+ किराया/ लगान + लाभ+ ब्याज


= 30,000+10,000+10,000+10,000


= 60,000 करोड़


राष्ट्रीय आय=  ₹60,000 करोड़


प्रश्न-4 व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय की जाने वाली सावधानियों का वर्णन कीजिए।


उत्तर - 


1- स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन के रखे हुए भाग को राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाता है।


2- उत्पादकों के  स्वयं के भवन का आरोपित किराया निजी अंतिम उपभोग का एक भाग होता है ,अतः इसे राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाता है।


3-  मध्यवर्ती वस्तुओं एवं सेवाओं पर किए गए व्यय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।


4- हस्तानांतरण भुगतान जैसे- पेंशन ,छात्रवृत्ति, बेरोजगारी भत्ता आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।


5- पुराने माल पर किए गए व्यय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।


6- अंशों, ऋण पत्रों, बैंक जमाओं, बचत प्रमाण पत्रों पर किए गए वीनियोगों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।


7- यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से शुद्ध प्रत्यक्ष करों को हटा दे तो साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त हो जाएगा।


8- यदि साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ही में घिसावट व्यय को घटा दे तो साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य प्राप्त हो जाएगा।


प्रश्न -5 बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (एनडीपी एमपी) तथा साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद( एनडीपी एफसी) में अंतर स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - बाजार मूल्य पर भी शुद्ध घरेलू उत्पाद- (net domestic product at market prices)-


विशुद्ध घरेलू उत्पाद के मूल्य को बाजार में प्रचलित कीमतों के आधार पर मापा जाता है तो उस माप को "बाजार कीमतों पर भी शुद्ध घरेलू उत्पाद" कहते हैं। अर्थात बाजार मूल्य पर विशुद्ध घरेलू उत्पाद का आशय एक अर्थव्यवस्था में एक लेखा वर्ष के अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य से हैं।

अर्थात बाजार मूल्य पर विशुद्ध घरेलू उत्पाद= एक देश की सीमा के भीतर एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य


इसे बाजार कीमतों पर भी शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से विदेशों से प्राप्त विशुद्ध साधन आय को घटाकर भी निकाला जा सकता है।


NDP MP = NNP MP  - NFIA


साधन लागत पर भी शुद्ध घरेलू उत्पाद- (net domestic product at factor cost)


एक देश में एक लेखा वर्ष में उत्पादन के विभिन्न साधनों को देश की घरेलू सीमाओं के अंतर्गत जो सकल आय प्राप्त होती है उसे ही साधन लागत पर विशुद्ध घरेलू उत्पाद कहा जाता है। उत्पादन के साधनों को यह आय मजदूरी ,वेतन ,किराया ,ब्याज ,लाभ एवं स्वनियोजित की मिश्रित आय के रूप में प्राप्त होती है।


अतः साधन विशुद्ध लागत पर घरेलू उत्पाद= एक देश की सीमा के अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों को एक लेखा वर्ष में प्राप्त कुल आय।


NDPfc = NNPfc - NFIA


जहां NDPFc -साधन लागत पर भी शुद्ध घरेलू उत्पाद


NNPFc =साधन लागत पर विशुद्ध राष्ट्रीय आय


 NFIA =विदेशों से प्राप्त विशुद्ध साधन आय



Note- This post is currently being worked on, very soon the answers to all the questions will be updated.





CG board assignment 4 मैं अच्छा उत्तर कैसे लिखें?

अगर आप जानना चाहते हैं कि असाइनमेंट 4 मैं अच्छा उत्तर कैसे लिखा जाता है तो आप पोस्ट को पूरा पढ़ें।यदि आप असाइनमेंट लिखने जा रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि असाइनमेंट लिखने के लिए आपको किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है।

Cg board assignment 4 October 2021 मैं जारी कर दिए गए हैं, इनको लिखने के लिए सबसे पहले आप बाजार से बड़े आकार के पेपर य प्रोजेक्ट पेपर खरीदले साथ ही आप एक ब्लू पेन भी खरीदे। इस बात का ध्यान रखें कि आप लाल पेन का बिल्कुल भी इस्तेमाल ना करें। असाइनमेंट लिखते समय आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना है जो आपको नीचे बताई गई हैं।


CG board assignment 4 October 2021 मैं लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:

1.असाइनमेंट में दिए गए शब्द सीमा में ही सभी प्रश्नों के उत्तर लिखें।

2.लाल पेन का उपयोग ना करें।

3.अनावश्यक शब्दों का प्रयोग ना करें।

4.प्रश्न की आवश्यकता के अनुसार ही अपना उत्तर दें।

5.सबसे महत्वपूर्ण सुंदर हैंड राइटिंग में लिखें।


CG board assignment 5 October 2021 का first कैसे बनाएं?

असाइनमेंट के फर्स्ट पेज को फिल कर दे में ज्यादातर स्टूडेंट्स गलती कर देते हैं। असाइनमेंट के फर्स्ट पेज में जो आपको सूचना दी जाती है उसी के अनुसार आपको उसे फिल करना होता है। जैसे कि पाठ्यक्रम का कोड असाइनमेंट को टॉपिक का नाम आपका नाम और आपके पिताजी का नाम भी पूछा जा सकता है। यह जानकारी भरना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है इसके बिना आप का असाइनमेंट स्वीकार नहीं किया जाएगा। फर्स्ट पेज पर सारी जानकारी भरने के बाद आप असाइनमेंट लिखना शुरू कर सकते हैं। असाइनमेंट पूरा लिखने की बात आप यह भी जान लीजिए कि असाइनमेंट आपको अपनी हैंडराइटिंग में लिखना होगा आप उसे टाइप करके नहीं लिख सकते और आप अपने किसी घर के मेंबर से भी असाइनमेंट नहीं लिखवा सकते। अगर वोट को यह पता चलता है कि आपने अपना सीमेंट किसी दोस्त या घर के किसी अन्य मेंबर से लिखवाया है तो आपका असाइनमेंट एसटीडी किया जा सकता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में आपको छूट दी जा सकती है पर आपको असाइनमेंट स्वयं ही लिखना पड़ेगा आपको प्रत्येक असाइनमेंट की एक अलग से फाइल बना लेनी है। अगर आप इन सभी बातों का ध्यान रखकर अपना असाइनमेंट लिखना स्टार्ट करते हैं तो आप का असाइनमेंट बहुत ही आकर्षक और सबसे यूनिक रहेगा। ऊपर दी गई सभी बातों को ध्यान में रखकर ही अपना असाइनमेंट लिखना स्टार्ट करें ।


Assignment 4 को लिखते समय कौन-कौन सी सावधानी हैं जिनका विशेष ध्यान रखें?

1.असाइनमेंट लिखने की पूर्व आप रफ वर्क जरूर करें। इससे क्या होगा आप जो गलती करती हैं आप वह सुधार सकती हैं और आप का असाइनमेंट बिल्कुल क्लीन और सांप दिखेगा इससे एग्जामिनर आप के अंक नहीं काटेगा।

2.असाइनमेंट के प्रत्येक सवाल को एक से दो बार पढ़ कर ही अपना उत्तर लिखिए और इस बात का ध्यान रखें कि प्रश्न में जो बात पूछी गई है उसी का उत्तर सबसे पहले थी और प्रश्न की शब्द सीमा का भी ध्यान रखें।

3.प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले क्वेश्चन से संबंधित टॉपिक के बारे में अपनी बुक में पढ़ें।

4.अगर हो सके तो डायग्राम का उपयोग असाइनमेंट में जरूर करें

5.असाइनमेंट में अपनी उत्तर को पॉइंट वायपॉइंट लेकिन इससे एग्जामिनर को सहूलियत होगी आपकी कॉपी चेक करने में और वह आपकी कॉपी को अच्छी तरीके से चेक कर अच्छे अंक दे पाएगा।

6.उत्तर लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भाषा में त्रुटि ना हो। मात्रा और व्याकरण संबंधी गलतियां पर विशेष ध्यान दें।।

7.असाइनमेंट में ज्यादा कलर का उपयोग ना करें ।









2. दूसरे महायुद्ध एवं भारत विभाजन के कारण कृषि क्षेत्र को सबसे अधिक मार झेलनी पड़ी जिससे देश का सामाजिक आर्थिक संतुलन प्रभावित हुआ।


3. कृषि के क्षेत्र में अपनाई गई गतिविधियों का परिणाम शीघ्र आता है जबकि उद्योगों के परिणाम देर से निकलते हैं।






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