कवि परिचय (Biography in Hindi) |kavi parichay
कवि परिचय : आज की इस पोस्ट में हम आपको कवि परिचय बताने वाले है। कवि परिचय जो सभी class में पूछे जाने वाले question है।सभी कवि परिचय आज की पोस्ट में बताने वाले है।कवि परिचय in hindi के सभी महत्वपूर्ण जीवन परिचय बताने वाले है। चाहे आप किसी भी बोर्ड के छात्र हो आप सभी के लिए कवि परिचय most imp जीवन परिचय बताने वाले है।
https://www.skteach.com/2023/07/biography-in-hindi-kavi-parichay.html
कवि परिचय| kavi Parichay In Hindi
जीवन परिचय class 5th,6th ,7th ,8th ,9th,10th,11th,12th Class में हो तो आप सभी कवि परिचय बताने वाले हैं।
कवि परिचय
1 . कबीरदास
जीवन परिचय- कबीर दास जी का जन्म काशी में 13 98 ई. में हुआ । इनका पालन-पोषण एक जुलाहा दंपत्ति ने किया निसंतान जुलाहा दंपत्ति नीरू और नीमा ने इस बालक का नाम कबीर रखा ।कबीर की शिक्षा विधिवत नहीं हुई ।उन्हें तो सत्संगी की अनंत पाठशाला में आत्मज्ञान और ईश्वर प्रेम का पाठ पढ़ाया गया ।कबीर पाखंड और अंधविश्वासों के घोर विरोधी थे । 12 0वर्ष की आयु में सन्नी 1518 ई. में इनका देहावसान हो गया ।
रचनाएँ - साखी , सबद , रमैनी आपकी तीन प्रकार की रचनाएं मिलती हैं बीजक एक बानी के रूप में आप के काव्य संग्रह मिलते हैं ।
भाव -पक्ष - कबीर के काव्य मे आत्मा और परमात्मा के संबंधों की स्पष्ट व्याख्या मिलती है कबीर ने अपने काव्य में परमात्मा को प्रियतम एवं आत्मा को प्रियाशी के रूप में चित्रित किया है उनके काव्य में विरह की पीड़ा है कबीर ने कहीं-कहीं अनूठे रूप को द्वारा अपने गूढ भावों को अभिव्यक्त प्रदान की है ।
कला - पक्ष - कबीर के काव्य मैं चमत्कार के दर्शन होते हैं कविता उनके लिए साध्य होकर साधन मात्र थी उनकी रचनाओं में साहित्यिक सौंदर्य कहीं-कहीं छंद गठन तथा अलंकार विधान के सौष्ठव का अभाव भी मिलता है उनके काव्य में अनायास ही मौलिक एवं सार्थक प्रतीकों अन्य युक्तियों एक रूप को का सफल प्रयोग मिलता है ।
साहित्य मे स्थान - हिंदी साहित्य में स्वर्ग युग माने जाने वाले भक्ति काल के महान कवि कबीर उच्च स्थान के अधिकारी हैं आप रचनाकारों के आदर्श रहे हैं ।
2. रसखान
जीवन परिचय - रसखान का जन्म सन ने 1558 ( संवत 1615 ) में दिल्ली में हुआ था ।इनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था । श्री कृष्ण के प्रति रसमई भक्ति भावना के कारण भक्तजन इन्हें रसखान नाम से पुकारने लगे प्रारंभ से ही हुए प्रेमी स्वभाव के थे इनके प्रेम की गहराई और सच्चाई को देखकर गोसाई विट्ठल जी ने इन्हें प्रधान शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया था सन 1628 (सवत16 85 ) के आसपास अपने स्वर्ग लोक में गमन किया ।
रचनाएँ - 'सुजान रसखान ', 'प्रेम वाटिका ' ।
भाव - पक्ष - रसखान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम ने रसखान को कवि बना दिया था श्रीकृष्ण की भक्ति में अनुरक्त होकर ही उन्होंने अपनी कविताएं लिखी । काव्य एवं पिंगल शास्त्र का उन्होंने गहन अध्ययन किया । वह अत्यंत भावुक सहृदय और प्रेमी जीव थे इनके नीति संबंधी दोहे ही प्रासंगिक है ।
कला - पक्ष - रसखान का एक-एक शब्द कृष्ण भक्ति से सराबोर है श्रृंगार के दोनों पक्षो का सुंदर और सजीव चित्रण दिखाई देता है रसखान के काव्य की भाषा शुद्ध सरल और मधुर ब्रजभाषा है भाषा के प्रवाह और प्रौढ़ता के साथ सरलता और मधुरता के दर्शन होते हैं मुहावरों का सुंदर एवं स्वाभाविक प्रयोग होने से भाषा में सजीवता दिखाई देती है रसखान ने सवैया , कविता और दोहा छंद प्रचुरता से लिखे हैं ।
साहित्य में स्थान - भक्ति काल के कृष्ण भक्त कवियों में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान है ।
3. माखनलाल चतुर्वेदी
जीवन परिचय - माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्यप्रदेश में होशंगाबाद जिले में बाबई गांव में 188 9 में हुआ ।मात्र 16 वर्ष की अवस्था में वे शिक्षक बने देश भक्त कवि एक प्रखर पत्रकार थे । सन् 1968 मैं उनका देहांत हो गया ।
रचनाएँ - हिम करीटनी, साहित्य देवता , हिम तरंगिनी , वेणु लो गूँजे धरा उनकी प्रमुख कृतियां है।
भाव - पक्ष - माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं राष्ट्रीय भावना से युक्त हैं उनके स्वतंत्रता की चेतना के साथ देश के लिए त्याग और बलिदान की भावना मिलती है इसलिए उन्हें एक भारतीय आत्मा कहा जाता है उन्होंने भक्ति प्रेम और प्रकृति संबंधी कविताएं भी लिखी हैं ।
कला पक्ष - चतुर्वेदी जी कविता में शिल्प की तुलना में भाव को अधिक महत्व देते हैं उन्होंने परंपरागत छंदबदुता रचना के अनुकूल शब्दों का भी प्रयोग किया है ।
साहित्य मे स्थान - उन्हें पदम भूषण एक साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है हिंदी साहित्य में माखनलाल चतुर्वेदी का एक महत्वपूर्ण स्थान है ।
4.सुमित्रानंदन पंत
जीवन परिचय -प्राकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन 1900 में अल्मोड़ा के निकट कोसानी नामक ग्राम में हुआ था जन्म के 6 घंटे बाद ही माता की स्नेहमयी गोद आपसे सदा के लिए छिन गई पंत जी को साहित्य अकादमी तथा पदम भूषण अलंकार प्राप्त हुआ हिंदी का यह अलंकार 29 सितंबर सन 1977 को हिंदी संसार को सुना कर चला गया।
रचनाएँ - युगांत , उत्तरा , पल्लव , ग्राम्या, स्वर्ग - किरण लोकायतन ( महाकाव्य ) ।
भाव -पक्ष - पंत जी छायावादी कवि थे इनकी कविताओं में प्रकृति के मनमोहक चित्र मिलते हैं पंत जी की कविता का विशेष गुण अध्यात्म की ओर झुकाव तथा सौन्दर्य प्रेम है । इनको प्रकृति का सुकु कुमार कवि कहा जाता है भाष में प्रसाद और माधुर्य गुण हैं भाषा अत्यंत चित्रमयी एवं अंलकृत हैं जिसमें प्रत्येक शब्द का अपना विशिष्ट महत्व है खड़ी बोली को अपने रमणीय रूप दिया है
कला पक्ष - आपकी कविता और और माधुर्य गुण से युक्त है । आपने कविता में प्राया कोमल कांत पदावली को अपनाया है आपकी कविता में अलंकृत शैली की प्रधानता है आपको तुकान्त अतुकान्त मुक्तक और स्वच्छंद छंदों का प्रयोग किया है विविध वर्ण गद्य और ध्वनि नाद का इन्होंने कविता में सजीव चित्रण किया है
साहित्य में स्थान - निराला जी ने एक बार पंत जी के लिए बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा था " यदि तुलसी और सूर हिंदी साहित्य से सत्य और शिव है तो पंत जी सुंदरम है ।"