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लैंथेनाइड संकुचन क्या है कारण और प्रभाव class 12th

प्रश्न 01:- लैंथेनाइड संकुचन क्या है कारण परिणाम सहित समझाइए class 12th

लैंथेनाइड संकुचन क्या है कारण परिणाम सहित समझाइए class 12th


उत्तर - लैंथेनाइड तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ इनकी परमाणु त्रिज्या और आयनिक त्रिज्या कम होती जाती है। अर्थात परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ इनके परमाणुओं और आयनों का आकार कम होता जाता है। आकार में कमी होने की इस घटना को लैंथेनाइड संकुचन कहते हैं।


कारण - लैंथेनाइड तत्वों में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ आने वाले नए इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कोश में प्रवेश न करके (n-2)f उपकोष में प्रवेश करते हैं। 4f उपकोष के इलेक्ट्रॉनों का परिरक्षण प्रभाव अत्यंत कम होता है। तथा परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ परमाणु के नाभिक पर आवेश बढ़ता जाता है। इस कारण नाभिक बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉनों पर आकर्षण बल बढ़ता जाता है। फल स्वरुप इनके परमाणुओं और आयनो के आकार में कमी होती जाती है।


परिणाम/ प्रभाव/ महत्व :- 

  1. तत्वों के गुणों में समानता - लैंथेनाइड संकुचन के कारण द्वितीय श्रेणी के संक्रमण तत्वों और तृतीय श्रेणी के संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्या लगभग बराबर होती है इस कारण इन तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणों में कई समानताएं पाई जाती हैं। जैसे- Zr और Hf कई गुणों में एक दूसरे से समानता रखते हैं।

  2. लैंथेनाइड के तत्वों में पृथक्करण में कठिनाई - लैंथेनाइड संकुचन के कारण विभिन्न लैंथेनाइड तत्वों के गुणों में काफी समानता पाई जाती है। इस कारण इन्हें एक-दूसरे से पृथक कर पाना अत्यंत कठिन होता है। इन्हें एक दूसरे से पृथक करने के लिए आयन विनिमय विधि का उपयोग किया जाता है। सामान्य रासायनिक विधियों द्वारा इनका पृथक्करण नहीं हो पाता है।

  3. हाइड्रोक्साइडो की क्षारीय प्रवृत्ति - लैंथेनाइड संकुचन के कारण इनके हाइड्रोक्साइडो की क्षारीय प्रवृत्ति प्रभावित होती है। श्रेणी में La3+ से Lu3+ तक आकार घटने के कारण धातु आयन और हाइड्रोक्साइड आयन के बीच बनने वाले बंध में सह संयोजी लक्षण बढ़ते जाते हैं। जिससे क्षारीयता कम होती जाती है।


प्रश्न 02:- लैंथेनाइड और एक्टिनाइड तत्वों के उपयोग लिखो? 

उत्तर - लैंथेनाइड और एक्टिनाइड तत्वों के उपयोग निम्न है -

लैंथेनाइड के उपयोग

  1. मिश्र धातु बनाने में जिसमें 90 से 95% लैंथेनाइड , 5% आयरन तथा अल्प मात्रा में कार्बन , सिलिकॉन , सल्फर , एलुमिनियम , कॉपर होते हैं। इसका उपयोग गैस लाईटर और ट्रेसर , बुलेट बनाने में किया जाता है।

  2. सीरियम और थोरियम के ऑक्साइडो का उपयोग गैस मेंटल बनाने में किया जाता है।

  3. सीरियम के ऑक्साइड में ऊष्मा और पराबैंगनी किरणों से अप्रभावित रहने का गुण पाया जाता है। अतः इसका उपयोग सनग्लासेस बनाने में किया जाता है।

  4. लैंथेनाइड का उपयोग औषधियों , कृषि कार्य और श्रमिक उद्योगों में किया जाता है।

एक्टिनाइड के उपयोग - 

  1. थोरियम , यूरेनियम और प्लूटोनियम का उपयोग नाभिकीय रिएक्टरो में ईंधन के रूप में किया जाता है।

  2. थोरियम के लवण कैंसर के उपचार में प्रयुक्त होते हैं।

  3. प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु बम बनाने में किया जाता है।

  4. सीरियम और थोरियम के ऑक्साइडो का उपयोग गैस मेंटल बनाने में किया जाता है।


प्रश्न 03:- वेयर अभिकर्मक क्या है?

उत्तर - 1% क्षारीय KMnO4 विलयन वेयर अभिकर्मक कहलाता है। इसका उपयोग कार्बनिक यौगिकों में असंतृप्ता का परीक्षण करने में किया जाता है। जैसे - वेयर अभिकर्मक में एथिलीन गैस प्रवाहित करने पर एथिलीन ग्लाइकोल बनता है और KMnO4 का गुलाबी विलयन रंगहीन हो जाता है। 


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