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MP Board class 11th Biology Quarterly Exam Paper

MP Board class 11th Biology Quarterly Exam Paper 2021 solve जीव विज्ञान त्रैमासिक पेपर 2021


Mp Board 11th Biology Quarterly Exam Paper 2021:मध्य प्रदेश बोर्ड में कक्षा 11वीं के त्रैमासिक  (Quarterly Exam )  24 सितंबर से शुरू हो रही है ।ऐसे में सभी छात्र अपने एग्जाम की तैयारी में व्यस्त होंगे ।और कक्षा 11वीं क्वार्टरली एग्जाम पेपर की तैयारी कैसे करें अगर समझ नहीं आ रहा है तो आप इस पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ें |

11वीं जीव विज्ञान त्रैमासिक पेपर 2021

अगर आप भी 11 वी के स्टूडेंट है और त्रैमासिक पेपर परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं,तो आप सभी छात्रों को घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,हम आपके लिए लाए हैं इस पोस्ट में कक्षा 11
 वीं जीव विज्ञान के बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न जो कि आपके त्रैमासिक पेपर परीक्षा में पूछे जाने की संभावना है.

11th Biology Quarterly Exam Paper Solution Download

दोस्तों अगर कक्षा 11वीं की तैयारी कर रहे हैं तो आप लोगों के लिए बेहतर ऑप्शन रहेगा कि आप पिछले साल आए पेपर को देखें और उन्हें सॉल्व करें,दोस्तों आपको घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है आपको कक्षा बारहवीं के सभी विषयों के ओल्ड पेपर इस वेबसाइट पर मिल जाएंगे, आपको इन्हें हल करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी यह सभी पेपर सॉल्व के साथ पीडीएफ के रूप में आपको प्रोवाइड कराए जाएंगे.


MP board class 11th biology solutions chapter 8: कोशिका जीवन की इकाई


कोशिका: जीवन की इकाई


एनसीईआरटी प्रश्न उत्तर-


प्रश्न -1 इनमें कौन सा सही नहीं है-


(a)कोशिका की खोज राबर्ट ब्राउन ने की थी।


(b)श्लीडेन व श्वान ने कोशिका का सिद्धांत प्रतिपादित किया था।


(c)वर्चीव के अनुसार कोशिका पूर्व स्थित कोशिका से बनती है।


(d)एक कोशिकीय जीव अपने जीवन के कार्य एक कोशिका के भीतर करते हैं।


उत्तर-(a) कोशिका की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी।


प्रश्न -2 नई कोशिका का निर्माण होता है-


(a)जीवाणु किण्वन से


(b)पुरानी कोशिकाओं के पुनरुत्पादन से


(c)पूर्व स्थित कोशिकाओं से


(d)अजैविक पदार्थों से


उत्तर-(c) पूर्व स्थित कोशिकाओं से


प्रश्न-3 'क' और 'ख' में मिलान कीजिए-


1.क्रिस्टी              (a)  पीठिका में चपटे 

                             कलामय झिल्ली

 2.कुंडिका            (b) सूत्रकणिका में     

                              अंतर्वलन

3.थाईलेकाइड        (c)गाल्जी उपकरण बिंब 

                          आकार की थैली।


उत्तर- 1.(b)सूत्र कणिका में अंतर्वलन

        2.(c) गाल्जी उपकरण बिंब आकार की

                  थैली

        3. (a) पीठिका में चपटे कलामय 

                 झिल्ली


प्रश्न-4 इनमें से कौन- सा सही है-


(a)सभी जीव कोशिकाओं में केंद्रक मिलता है।


(b)दोनों जंतु और पादप कोशिका में स्पष्ट कोशिका भित्ति होती है।


(c)प्रोकैरियोटिक कोशिका की झिल्ली में आवरित अंगक मिलते हैं।


(d)कोशिका का निर्माण अजैविक पदार्थों से नए सिरे से होता है।



उत्तर- (a) सभी जीव कोशिकाओं में केंद्रक मिलता है।


 प्रश्न-5 प्रोकैरियोटिक कोशिका में मीसोसोम क्या होता है? इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।


उत्तर- प्रोकैरियोटिक कोशिका में एक विशिष्ट झिल्ली मीसोसोम पाई जाती है। इस दिल्ली का निर्माण प्लाज्मा झिल्ली के वृद्धि से होता है।


मीसोसोम के कार्य: 


•कोशिका भित्ति का निर्माण


•डीएनए प्रतिकृति करण एवं पुत्री कोशिकाओं का वितरण करना


•कोशिकीय श्वसन ,स्त्रावण आदि कार्यों में सहायता करना आदि है।



प्रश्न-6 कैसे उदासीन विलेय जीवद्रव झिल्ली से होकर गति करते हैं ?क्या ध्रुवीय अणु उसी प्रकार से  होकर गति करते हैं? यदि नहीं तो इनका जीवद्रव झिल्ली से होकर परिवहन कैसा होता है?


उत्तर- उदासीन विलेय सांद्रता प्रवणता के अनुसार जैसे- उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर साधारण विसरण द्वारा इस झिल्ली से बाहर होकर जाते हैं ।ध्रुवीय अणु उदासीन विलेय की तरह जीवद्रव झिल्ली से होकर गति नहीं करते चूंकि ध्रुवीय अणु जो अध्रुवीय लिपिड की व्दि-सतह से होकर नहीं जा सकते उन्हें दिल्ली से होकर परिवहन के लिए झिल्ली की वाहक प्रोटीन की आवश्यकता होती है।


प्रश्न-7 दो कोशिकीय अंगको के नाम बताइए जो द्विकला से घिरे होते हैं ।इन दो अंगको की क्या विशेषताएं हैं ?इनका कार्य व रेखाचित्र बनाइए।


उत्तर- द्विकला  (double membrane) से घिरे हुए दो कोशिकीय अंगको के नाम है-


1.गाल्जीकाय

2.अंतः प्रद्रव्यी जालिका



गाल्जीकाय की संरचना-


आर.बी.सी .को छोड़कर शेष सभी कोशिकाओं में 3 से 20 तक इकाई झिल्लियों के गुच्छे पाए जाते हैं, जिन्हें गाल्जीकाय या डिक्टीयोसोम कहते हैं। यह इकाई झिल्ली के दोहरे आवरण के बने चपटे सिस्टर्नी (cisternae) ,आशय (vesicle) एवं रिक्तिकाओं (vacuoles) के बने होते हैं। नई बनी कोशिकाओं में यह काफी विकसित होते हैं लेकिन धीरे-धीरे ह्रासित होते हुए पुराने कोशिकाओं में पूर्णत: समाप्त हो जाते हैं। इनकी उत्पत्ति केंद्रकीय झिल्ली से होती है।


गाल्जीकाय के कार्य- 


•विभिन्न स्थानों पर निर्मित पदार्थों जैसे- एंजाइम ,हार्मोन व कुछ लवणों का सांद्रण तथा स्त्रावण कोशिकाओं में गाल्जी उपकरण द्वारा होता है।


•शर्करा के सरल अणुओं से कार्बोहाइड्रेट के जटिल अणुओं का निर्माण होता है।


•यह समसूत्री विभाजन की अवस्था में थैलियों का निर्माण करती हैं, जो मिलकर कोशिकापट्ट बनाती हैं।


•लाइसोसोम का निर्माण भी करती हैं और रूपांतरित होकर शुक्राणुओं का एक्रोसोम भी बनाती हैं।


•यह कार्बोहाइड्रेट्स व प्रोटीन का संयोजन कर ग्लाइकोप्रोटीन बनाती हैं।


•कोशिकाभित्ति निर्माण के लिए आवश्यक प्रोटीन का भी संश्लेषण करती हैं।


•अंतः स्रावी कोशिकाओं में यह हार्मोंस के स्त्रावण में मदद करतीं हैं।


•ATP उत्पन्न करने के लिए माइट्रोकांड्रिया को प्रेरित करती हैं।



अंतः प्रद्रव्यी जालिका की संरचना-

कोशिका के कोशिकाद्रव्य में महीन, शाखित , सूक्ष्म नलिकाओं अथवा रिक्तिकाओं का समूह पाया जाता है ,जिन्हें अंतः प्रद्रव्यी जालिकाएं (Endoplasmic Reticulum) कहते हैं। जब इनकी वाह्य सतह पर राइबोसोम्स चिपक जाते हैं, तब इन्हें खुरदरी अंतः प्रद्रव्यी जालिकाएं अन्यथा चिकनी अंतः प्रद्रव्यी जालिकाएं कहते हैं। इसकी खोज गार्नियर ने सन 1897 में की थी। गाल्जीकाय की रिक्तिकाएं इकाई झिल्ली से घिरी रहती हैं। तथा लंबे ,चटपटे, कोष अंडाकार ,वृत्ताकार आशय एवं नलिकाओं की बनी होती है ।यह सभी रचनाएं केंद्रकीय झिल्ली के बहिर्गमन से बनती हैं।


अंतः प्रद्रवी जालिका के कार्य:


•यह कोशिकाओं को यांत्रिक सहारा देने के साथ प्रोटीन संश्लेषण में मदद करते हैं।


•इनके के द्वारा कोशिका के अंदर परिवहन होता है।


•यह कोशिका विभाजन के समय केंद्रकीय झिल्ली के निर्माण में भाग लेते हैं।


•यह एंजाइम के लिए अतिरिक्त सतह प्रदान करती हैं तथा ग्लाइकोजन उपापचय में सहायता देती हैं।



प्रश्न-8 प्रोकैरियोटिक कोशिका की क्या विशेषताएं हैं?


उत्तर- प्रोकैरियोटिक कोशिका की विशेषताएं:


यह प्राथमिक प्रकार की अविकसित कोशिकाएं हैं जिनके केंद्र के चारों तरफ केंद्रकीय झिल्ली नहीं पाई जाती। इनकी कोशिकाओं में दोहरी भित्ति वाले कोशिकांग जैसे: माइट्रोकांड्रिया ,क्लोरोप्लास्ट, गाल्जीकाय ,लाइसोसोम भी पाए जाते हैं।


 उदाहरण : जीवाणुओं तथा नीले -हरे शैवालओं की कोशिकाएं।



प्रश्न-9 बहुकोशिकीय जीवो में श्रम विभाजन की व्याख्या कीजिए।


उत्तर- ऐसे जीव जिनका शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बनता है उन्हें बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। बहुकोशिकीय जीवो में अलग-अलग कार्यों को करने के लिए विशिष्ट कोशिकाएं पाई जाती हैं ।इनमें कार्यों का विभाजन होता है ।इसे ही श्रम विभाजन कहा जाता है। श्रम विभाजन निम्नलिखित तथ्यों से प्रदर्शित होता है-


•कुछ कोशिकाएं अतिरिक्त कोशिकीय पदार्थों का संश्लेषण कर कोशिकाओं को जोड़ने का कार्य करती हैं।


•कुछ कोशिकाएं संवेदनाओं पहुंचाने का कार्य करती हैं।


•जीवो में स्वसन ,उत्सर्जन ,परिसंचरण आदि क्रियाएं अलग-अलग कोशिकीय समूहों द्वारा पूर्ण की जाती हैं।


•शरीर में अनेक कोशिकाएं प्रतिदिन नष्ट हो जाती हैं। अस्थि मज्जा द्वारा निर्मित नवीन कोशिकाएं प्रतिदिन इनका स्थान ले लेती हैं। इसलिए ऊतकों की टूट-फूट अथवा कोशिकाओं की मृत्यु जीव को अधिक हानि नहीं पहुंचाती और शीघ्र नवीन कोशिकाओं के द्वारा क्षति की पूर्ति कर ली जाती है।



प्रश्न-10 कोशिका जीवन की मूल इकाई है इसे संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।


उत्तर- यदि एक कोशिकीय जीव का अध्ययन करें तो ज्ञात होता है कि यह कोशिकीय जीवो के शरीर समान सभी कार्यों को स्वतंत्र रूप से करते हैं। पोषण ,स्वसन ,प्रचलन ,प्रजनन उत्सर्जन ,उत्तेजनशीलता इत्यादि सभी कार्य इनके द्वारा सफलतापूर्वक किए जाते हैं। इसी कारण कोशिका को एक आत्मनिर्भर इकाई माना जाता है। क्योंकि इनकी कोशिकाएं जीव शरीर के समान कार्य करते हैं ,इस कारण इनकी कोशिकाओं को कोशिका न मानकर इन्हें अकोशिकीय जीव कहा जाता है।


बहुकोशिकीय जीवो की कोशिकाएं किसी कार्य को संयुक्त रूप से करती हैं अर्थात इनकी कोशिकाएं कुछ हद तक दूसरी कोशिकाओं पर निर्भर रहती है, लेकिन यदि इनकी कोशिकाओं को भी शरीर से बाहर पोषक माध्यम में स्वतंत्र रूप से बढ़ने दिया जाए तो यह भी एक कोशिकीय जीव के समान ही सारी जैविक क्रियाओं को स्वतंत्र रूप से करती हैं। इनका नियंत्रण एवं समन्वय भी कोशिकाओं के अंदर ही स्थित अवयवों ,आनुवंशिक इकाइयों एवं प्रोटीन के द्वारा होता है।



प्रत्येक कोशिका चारों तरफ से प्लाज्मा झिल्ली से घिरी रहती है, जिससे इसके अंदर का जीव द्रव्य बाहरी वातावरण से पृथक हो जाता है, इसी प्रथकता के कारण कोशिका के अंदर का संगठन अपना अलग अस्तित्व बनाए रखता है। झिल्ली के द्वारा स्वतंत्र इकाई के रूप में घिरे रहने के कारण ही कोशिका को "अपने आप में एक कोष्ठ के रूप में आत्मनिर्भर इकाई" माना जाता है।



प्रश्न-11 केंद्रक छिद्र क्या है ?इसके कार्य बताइए।


उत्तर- केंद्रक चारों तरफ के आवरण में निश्चित स्थानों पर केंद्रक छिद्र पाया जाता है। यह  छिद्र केन्द्रक आवरण की दोनों झिल्लीयों के संलयन से बनता है।


कार्य- केंद्रक छिद्र के द्वारा आरएन एवं प्रोटीन के अणु केंद्रक में कोशिकाद्रव्य से होकर अभिगमन करते हैं।



प्रश्न-12 लयनकाय व रसधानी दोनों अन्त:झिल्लीमय  संरचना है फिर भी कार्य की दृष्टि से अलग होते हैं, इस पर टिप्पणी लिखिए।


उत्तर-


लयनकाय (Lysosome)-लाइसोसोम का निर्माण गाल्जीकाय के द्वारा होता है। लाइसोसोम अनेक पुटिकाओं से बनी है जिनमें सभी प्रकार के जल - अपघटनी एंजाइम ( हाइड्रोलेजेस, लाइपेज,प्रोटोएजेस आदि) मिलते हैं। सभी एन्जाइम अम्लीय माध्यम में सक्रिय  होकर कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड, न्यूक्लिक अम्लों का पाचन करते हैं।


रसधानी (Vacuoles): 


कोशिकाद्रव्य में झिल्ली द्वारा घिरे  रिक्त स्थान को रसधानी कहा जाता है। रसधानी के अन्दर कोशिकाद्रव्य के अनुपयोगी पदार्थ जैसे- अतिरिक्त जल, उत्सर्जी पदार्थ एवं अन्य कोशिकीय उत्पाद भरे रहते हैं। रसधानी,एकल झिल्ली (single membrane) से आवृत्त होती है। जिसे टोनोप्लास्ट कहते हैं। पौधों की कोशिकाओं में आयन एवं दूसरे पदार्थ सान्द्रता प्रवणता के विपरीत टोनोप्लास्ट से होकर रसधानी में अभिगमित होते हैं,इस कारण इनकी सांन्द्रता रसधानी में कोशिकाद्रव की अपेक्षा काफी अधिक होती है।



कोशिका: जीवन की इकाई वस्तुनिष्ठ प्रश्न-


प्रश्न-1 कोशिका की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी।


(क) रॉबर्ट हुक ने

(ख) रॉबर्ट ब्राउन ने

(ग) स्लीडेन ने

(घ) स्वान ने


उत्तर- (क) रॉबर्ट हुक ने


प्रश्न-2 केंद्रक की खोज किसने की-


(क) श्लीडेन ने

(ख) रॉबर्ट हुक ने

(ग) रॉबर्ट ब्राउन ने

(घ) मेंण्डल ने


उत्तर- (ख) रॉबर्ट ब्राउन ने



प्रश्न-3 कोशिका सिद्धांत देने वाले वैज्ञानिक हैं-


(क) श्लीडेन एवं श्वान 

(ख) लैमार्क एवं ट्रेविरेनस

(ग) मुईर तथा साथी

(घ) महेश्वरी एवं गुहा


उत्तर- (क) श्लीडेन एवं श्वान



प्रश्न-4 प्रोकैरियोटिक कोशिका में अनुपस्थित होती है-


(क) कोशिका भित्ति

(ख) केंद्रकीय भित्ति

(ग) प्लाज्मा झिल्ली

(घ) रसधानी


उत्तर- (ख) केंद्रकीय भित्ति



प्रश्न-5 कोशिका गमन है-


(क) सक्रिय अभिगमन

(ख) विसरण

(ग) परासरण

(घ) निष्क्रिय अभिगमन


उत्तर- (क) सक्रिय अभिगमन



प्रश्न-6 कोशिका झिल्ली द्वारा द्रव अंतः ग्रहण को कहते हैं।


(क) एण्डोसाइटोसिस

(ख) पिनोसाइटोसिस

(ग) परासरण

(घ) विसरण


उत्तर- (ख) पिनोसाइटोसिस


प्रश्न-7 जैव- झिल्ली में प्रोटीन की मात्रा होती है-


(क) 30 से 40%

(ख) 10 से 20%

(ग) 5%

(घ) 60 से 80%


उत्तर - (घ) 60 से 80%



प्रश्न-8 जैव झिल्ली में लिपिड की प्रतिशत मात्रा होती है-


(क) 20 से 40%

(ख) 60 से 80%

(ग) 5%

(घ) 10 से 20%


उत्तर-(क)  20 से 40%














Trimasik Pariksha के अंक वार्षिक परीक्षा में जुड़ेंगे या नहीं

दोस्तों सभी छात्रों के मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि क्या त्रैमासिक परीक्षा 2021 के अंक वार्षिक परीक्षा में जोड़े जाएंगे या नहीं ।आज हम आपको पूरी जानकारी देने वाले हैं क्या यह त्रैमासिक परीक्षा  आपके लिए महत्वपूर्ण है या नहीं ।जैसा कि सभी छात्रों को पता ही होगा कि कक्षा नवी और कक्षा ग्यारहवीं के छात्रों के लिए यह परीक्षा महत्वपूर्ण होती है ।क्योंकि कक्षा नवी और कक्षा ग्यारहवीं के छात्रों के वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट त्रैमासिक, परीक्षा ,हाफ इयरली परीक्षा,  प्री बोर्ड परीक्षा के अंक वार्षिक परीक्षा में जोड़े जाते हैं,लेकिन कक्षा 10वीं और कक्षा बारहवीं के लिए की परीक्षा इतनी महत्वपूर्ण नहीं होती थी.

क्या इस बार कक्षा 10वीं 12वीं के लिए यह परीक्षा महत्वपूर्ण है

दोस्तों विमर्श पोर्टल के द्वारा एक नोटिस जारी किया गया था उसमें स्पष्ट बताया गया है अगर कोरोनावायरस की वजह से कक्षा दसवीं और कक्षा 12वीं की परीक्षाएं नहीं होती है तो बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट   त्रैमासिक परीक्षा ,हाफ इयरली परीक्षा,  प्री बोर्ड परीक्षा की परीक्षाओं के आधार पर बनाया जाएगा ।इसलिए यह परीक्षाएं कक्षा 9वी से लेकर कक्षा 12वीं तक सभी छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है ।


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कक्षा ग्यारहवीं लेखाशास्त्र  त्रैमासिक सिलेबस 2021


कक्षा 11 वीं संस्कृत त्रैमासिक सिलेबस 2021
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कक्षा 11 वीं जीव विज्ञान त्रैमासिक सिलेबस 2021

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कक्षा ग्यारहवीं अंग्रेजी त्रैमासिक सिलेबस 2021 






Mp board Class 11th Biology Chapter-6 पुष्पी पादपों का शरीर


पुष्पी पादपों का शरीर NCERT प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1 विभिन्न प्रकार के मेरिस्टेम की स्थिति तथा कार्य बताइए

उत्तर स्थिति के अनुसार विभज्योतक  निम्न प्रकार के होते हैं-

1-शीर्षस्थ विभज्योतक- यह जड़ तथा तने के शीर्ष पर पाए जाते हैं| इनकी कोशिकाओं के विभाजन से तने तथा जड़े लंबाई में बढ़ती हैं इनसे जड़ व तनों के सिरों पर वृद्धि बिंदु का निर्माण होता है|


2-  अन्तवरिष्ठ विभज्योतक- वास्तव में यह शीर्षस्थ विभज्योतक से पृथक हुआ भाग गए जो प्रारूप की वृद्धि के समय शीर्षस्थ भाग से अलग हो जाता है| और स्थाई ऊतक में परिवर्तित नहीं होता एवं स्थाई ऊतको के बीच में विभज्योतक-उत्तक के रूप में बचा रहता है| यह पत्ती के आधार के पास अथवा पर्व के आधार के पास स्थित रहता है| अंतवरिष्ठ विभज्योतक ऊतक समानता घासो में पर्व के आधार के पास पुदीने की पर्व संधि के नीचे इत्यादि स्थानों पर पाए जाते हैं| ये ऊतक अस्थाई होते हैं| लेकिन बाद में स्थाई ऊतकों में परिवर्तन हो जाते हैं| इस उत्तक के कारण पौधा लंबाई में बढ़ता है

3- पाश्ररव विभज्योतक -ये विभज्योतक ऊतक तनु तथा जड़ों के पायों मैं स्थित है जैसे कि संवहन एधा और कोक एधा ये ऊतक स्थाई ऊतकों के पुनः विभेदन के कारण बनते हैं इनका विभाजन से द्वितीयक वृद्धि होती है जिससे जड व तने मोटाई में वृद्धि करते हैं|


प्रश्न 2-कार्क कैबियम ऊतकों से बनता है जो कार्क बनाते हैं? क्या आप इस कथन से सहमत हैं वर्णन कीजिए

उत्तर- जब द्विबीजपत्री जड़ और तने के परिधि में वृद्धि होती है तब वल्कुट तथा बाह्य त्वचा  की सतहे टूटती जाती हैं| और उन्हें नई संरक्षी कोशिका सतह की आवश्यकता होती है| इसलिए एक दूसरा मेरिस्टमी ऊतक तैयार हो जाता है| कार्क कैबियम अथवा कागजन कहते हैं|यह प्राय:वल्कुट क्षेत्र में विकसित होता है| इसकी सतह मोटी और सकरी पतली भित्ति वाले वाली आयताकार कोशिकाओं की बनी होती है| कागजन दोनों ओर की कोशिकाओं को बनाता है|

बाहर की ओर की कोशिकाएं कार्क अथवा काग में बट जाती हैं| और अंदर की ओर की कोशिकाएं द्वितीयक वल्कुल अथवा कागा स्तर में विवादित हो जाती हैं| कार की कोशिकाओं में पानी का प्रवेश नहीं होता है| क्योंकि इसकी कोशिका भित्ति पर सुमिरन जमा करता है| द्वितीयक वल्कुल कोशिकाएं पैरेकाइमी होती हैं| कागजन काग तथा काग मिलकर परिचर्म बनाते हैं| ये बाहरी तथा तने के भीतरी ऊतकों के बीच गैसों का आदान प्रदान करते हैं| ये अधिकांश काष्टीय वृक्षों में पाए जाते हैं|

प्रश्न 3 चित्रों की सहायता से काष्टीय एंजियोस्पर्म के तने में द्वितीयक वृद्धि के प्रक्रम का वर्णन कीजिए| इसकी क्या सार्थकता है?


उत्तर- द्वितीयक वृद्धि कैंम्बियम तथा काँर्क कैंम्बियम की क्रियाशीलता के फल स्वरुप क्रमशः स्टील के अंदर तथा स्टील के बाहर द्वितीयक ऊतकों के बनने के कारण जड़ तथा तने में मोटाई में हुई वृद्धि द्वितीयक वृद्धि कहलाती है|"

द्वितीयक वृद्धि के कारण ही आवृत्तबीजी और द्विबीजपत्री पौधे वृक्ष जैसी रचना बना पाते हैं|

 द्वितीयक वृद्धि के अभाव के कारण ही एकबीजपत्री पादपों में सामान्यतः वृक्ष का अभाव रहता है| अतः कुछ अपवादों को छोड़कर एक बीज पत्री पादपों में जबकि द्विबीजपत्री पादपों(जड एवं तना)मे द्वितीयक वृद्धि पाई जाती है|


द्विबीजपत्री तने में द्वितीयक वृद्धि- एक प्रारूपी द्विबीजपत्री तने में द्वितीयक वृद्धि निम्न प्रकार से होती है-


कैम्बियम की क्रियाशीलता- क्या आप जानते हैं कि द्विबीजपत्री में तने में जाइलम तथा फ्लोएम के बीच एक पट्टी पाई जाती है| जिसे पुलीय कैंम्बियम कहते हैं|

जब तना वयस्क हो जाता है अर्थात उस में द्वितीयक वृद्धि होनी होती है तब पूलीय कैंम्बियन क्रियाशील हो जाता है| तथा इसके साथ ही दो संवहन पूलों के बीच की कैंम्बियन की संधि वाली कोशिकाएं,जो मृदूतकी की होती हैं भी विभाजित हो जाती हैं| अब इन्हें अंतर पुली कैंम्बियन कहते हैं इस प्रकार कैंम्बियन एक वलय बन जाता है जिसे कैंम्बियन वलय कहते हैं|


अनुकूल परिस्थिति में कैंम्बियन कोशिकाएं विभाजन करने लगती हैं यह विभाजन स्पर्श रेखीय होता है जिसके कारण वलय के बाहर द्वितीयक फ्लोएम तथा अंदर द्वितीयक जाइलम का निर्माण होता है समानता द्वितीयक फ्लोएम की अपेक्षा द्वितीयक जाइलम अधिक मात्रा में बनता है इस कारण कैंम्बियन का वलय परिधि की ओर से खिसकता जाता है|

प्राथमिक जाइलम तथा फ्लोएम इस क्रिया के कारण दूर हो जाते हैं जबकि कैंम्बियम क्रियाशीलता के पहले यह पास पास स्थित होते हैं इस समय प्राथमिक फ्लोएम दबाव के 

कारण कुचलकर अवशेष के रूप में रह जाता है जबकि प्राथमिक जाइलम केंद्रीय मज्जा की ओर आ जाता है कुछ कैंम्बियन कोशिकाएं द्वितीयक जाइलम तथा फ्लोएम के स्थान पर केवल मृदूतकी की कोशिकाओं का निर्माण करने लगती है| 

जिससे अक्ष के क्षैतिज द्वितीयक जाइलम से द्वितीयक फ्लोएम तक एक पट्टी दिखाई देने लगती है जिसे द्वितीयक ऊतको में स्थित होने के कारण द्वितीयक मेडयूलरी रश्मिया कहते हैं वे संवहन ऊत्तक की जीवित कोशिकाओं से संबंध स्थापित करती हैं इन्हीं से होकर फ्लोएम तथा जाइलम की जीवित कोशिकाओं को भोजन सामग्री पहुंचती हैं इसके अलावा ये कोशिकाएं भोजन संग्रह का भी कार्य करती हैं|


(B) कौर्क कैम्बियन की सक्रियता -कैम्बियम द्वारा नए ऊतकों के बनने के कारण तने के बाहरी उतको पर दबाव पड़ता है जिसके कारण बाह्य त्वचा फट जाती है इसी समय कॉन्ट्रैक्स की बाहरी परत विभाजित होकर नई कोशिकाएं बनाने लगती हैं इस पर्त को ही कोर्क कैंम्बियन या फेलोजन कहते हैं कौर्क कैम्बियम अंदर तथा बाहर दोनों तरफ कोशिकाओं का निर्माण करता है लेकिन बाहर की तरफ अपेक्षाकृत अधिक कोशिकाएं बनती हैं|

कौर्क कैम्बियम द्वारा बाहर की ओर जो कोशिकाएं बनती हैं उन्हें कौर्क या फेलम तथा अंदर की तरफ बने कोशिकाओं को फैलोडर्म कहते हैं बाहर बनी कोशिकाओं में अंतराकोशिकीय अवकाश नहीं पाया जाता है तथा ये सुमिरन का निर्माण कर मृत हो जाती है और तने की छाल बनाती है अंदर की ओर कोशिकाएं द्वितीयक कॉन्ट्रैक्ट बनाती है जो मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है जिसमें हरित लवक पाया जाता है समानता कौर कैंम्बियन द्वारा बनाए ऊतको को कौर्क कहा जाता है जो तने को यांत्रिक सहारा देने के साथ ही रक्षात्मक आवरण बनाता है तथा आंतरिक ऊतकों से जल हानि को रोकता है|


प्रश्न 4 निम्नलिखित में विभेद कीजिए

1-वाहिका तथा ट्रैकीड

2-पैरेनकाइमा तथा कोलेनकाइमा

3-रसदारू तथा अंत काष्ठ

4-खुला तथा बंद संवहन बंडल|


उत्तर वाहिका एवं वाहिनिका (ट्रैकीड)मे अन्तर -

वाहिका -

1एक वाहिनी मे बहुत सी कोशिकाओं एक साथ जुडी रहती हैं|

2-इनके सिरे गोल होते है|

3-दो पास की कोशिका मे पट्ट का अभाव होता हैं|


वाहिनिका- 1एक वाहिनिका एक अकेली कोशिका की बनी होती हैं|

2-इनके सिरे नुकीले होते है|

3-दो वाहिनिकाओ के बीच एक पट्ट उपस्थिति रहता हैं|


2-पैरेनकाइमा (मृदूतक)तथा कोलेनकाइमा(स्थूलकोण ऊतक)पैरेनकाइमा-

1- इसकी कोशिकाएं जीवित एवं पतली भित्ति वाली होती हैं|

2- इन की कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है|

3- इनकी कोशिकाओं में रिक्तकाएं संख्या में अधिक होते हैं

4- इनकी कोशिकाएं गोल य बहुभुजी और अंतराकोशिकीय की अवकाश युक्त होती हैं

5- इनका मुख्य कार्य भोज्य पदार्थों का संग्रहण करना है

6- जब इन में क्लोरोफिल उपस्थित होता है तब इन्हें क्लोरोनेकायमा कहते हैं यह प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है

7- जब इन कोशिकाओं के अंतराकोशिकीय अवकाश बड़े बड़े होते हैं तब इन्हें ऐरेनकायमा कहते हैं ये जलीय पौधों में पाए जाते हैं तथा उनको तैरने में सहायता करते हैं


स्थूलकोण ऊतक-

1- यह जीवित ऊतक है जिसकी कोशिकाएं लंबी होती है

2- इनकी कोशिकाओं में अंतर कोशिकीय अवकाशो का अभाव होता है

3- इनकी कोशिकाओं की कोशिका भित्ति के कोने सेल्यूलोज एवं पेक्टिन के जमाव के कारण मोटे व स्थूलित हो जाते हैं इसलिए इन्हें स्थूल कोण ऊतक कहा जाता है

4- क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होने पर ये प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं

5- यह पौधों को यांत्रिक मजबूती प्रदान करता है

6- लचीला होने के कारण यह अंगों को तनन सामर्थ्य प्रदान करता है

7- क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होने पर यह प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है


4- खुला तथा बंद संवहन बंडल


खुला संवहन बंडल- इसमें जाइलम तथा फ्लोएम के बीच में कैंम्बियन स्थित होता है इस प्रकार का समंवहन पूल द्विबीजपत्री तनो में पाया जाता है


बंद संवहन बंडल- इस प्रकार के संवहन  पूलों में कैंम्बियन नहीं पाया जाता यह एक बीज पत्री पौधों के तनों में पाया जाता है


प्रश्न 5 निम्नलिखित में शारीरिक के आधार पर अंतर बताइए

1 द्विबीजपत्री मूल तथा एक बीज पत्री मूल 2-द्विबीजपत्री तना तथा एक बीज पत्री तना

उत्तर-1 एक बीज पत्री एवं दो बीज पत्री जड़ मूल की आंतरिक संरचना में अंतर-


द्विबीजपत्री जड़ मूल-1 इसकी पेरिसाइकिल पाश्र्व मूलो और द्वितीयक विभज्योतक का निर्माण करती है


2- इनके संवहन पूलों की संख्या समानता 2-6 तक होती है कुछ में ही इससे अधिक होती है

3- इनमें द्वितीयक वृद्धि के समय कैंम्बियन उत्पन्न हो जाता है

4- इनमें पिथ अल्पविकसित अथवा अनुपस्थित होता है


एक बीज पत्री जड़ मूल-


1 यह केवल पाश्र्व मूल्यों का ही निर्माण करती है क्योंकि एक बीज पत्री जड़ में द्वितीयक वृद्धि का अभाव होता है

2- इनके संवहन पूलों की संख्या समानता 6 से अधिक होती है बहुत कम पादपों में इसमें कम होती है

3- इनमें कैंम्बियन तथा द्वितीयक वृद्धि का अभाव होता है

4- इनमें पिथ पूर्ण विकसित होता है


प्रश्न 6 आप एक शैशव तने की अनुप्रस्थ काट का सूक्ष्मदर्शी अवलोकन कीजिए आप कैसे पता करेंगे कि यह एक बीज पत्री तना अथवा द्विबीजपत्री तना है इसके कारण बताइए


उत्तर- एक शैशव तने की अनुप्रस्थ काट का सूक्ष्मदर्शी में अवलोकन करने के पश्चात एक बीज पत्री एवं द्विबीजपत्री तना कों निम्नलिखित संरचनाओं के आधार पर पहचाना जा सकता है-


द्विबीजपत्री तने की आंतरिक संरचना- यदि हम सूर्यमुखी के तने की आंतरिक संरचना को देखें तो इसमें निम्न रचनाएं दिखाई देती हैं-


1बाह्य त्वचा- यह सबसे बाहरी एक कोशिकीय स्तर है जिस पर क्यूटिकिल पाई जाती है इस पर कहीं-कहीं बहु कोशिकीय रोम तथा स्टोमेटा पाए जाते हैं


2-काँर्टेक्स यह बाह्य त्वचा के नीचे के स्तर है जो तीन स्तरों की बनी होती है-


अधस्त्व चा- यह है कोलेनकाइमेटस कोशिकाओं की 3 से 5 परतो की बनी होती है| इन कोशाओ में अंतराकोशिकीय  अवकाश अनुपस्थित तथा हरित लवक उपस्थित होता है|


सामान कॉन्ट्रैक्ट-  यह अधस्त्वचा के नीचे स्थित होता है तथा अंतराकोशिकीय की अवकाशो से युक्त मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है|


अन्तस्त्वचा - यह कॉन्ट्रैक्ट की आंतरिक एक कोशिकीय  स्तर जो ढोलक के समान कोशिकाओं की बनी होती है जिसमें स्टार्च कण पाए जाते हैं इसमें कैस्पेरियन स्ट्रिप स्पष्ट दिखाई देती है|


3-पेरिसाइकिल - यह परत मृदूतकी तथा दृढ ऊतकी  कोशिकाओं के एकांतर क्रम में व्यवस्थित होने से बनती हैं और अंतरस्त्वचा के नीचे स्थित होती हैं|


4- संवहन पूल- इनके संवहन पूल संयुक्त कॉलेटरल खुले तथा एक घेरे में व्यवस्थित होते हैं इनका प्रत्येक संवहन पूल जाइलम फ्लोएम तथा कैंम्बियन का बना होता है|






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