Class 12th Hindi अगस्त मासिक टेस्ट 2021 पेपर |12th Hindi masik test paper solution
*New*- सितंबर में होगी कक्षा 9वी से कक्षा 12वीं तक त्रैमासिक परीक्षा जानिए टाइम टेबल
प्रश्न क्रमांक 6 का हल
इस कहानी में पीढ़ी का अंतराल सबसे प्रमुख है यही मूल संवेदना है क्योंकि कहानी में प्रत्येक कठिनाई इसलिए आ रही है कि यशोधर बाबू अपने पुराने संस्कारों नियमों व कायदों से बने रहना चाहते हैं ।
और उनका परिवार उनके बच्चे वर्तमान में जी रहे हैं जो ऐसा कुछ गलत भी नहीं है। यदि यशोधर बाबू थोड़े से लचीले स्वभाव के हो जाते तो उन्हें बहुत सुख मिलता और जीवन भी खुशी से व्यतीत करते आता इस कहानी के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना जीवन सुख से बिताने के लिए सामंजस्य एवं समन्वय की भावना रखनी होगी साथ ही युवा पीढ़ी के लिए यह संदेश दिया है कि उन्हें अपने बुजुर्गों की इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी इच्छा एवं विचारों को समझते हुए जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेना चाहिए।
प्रश्न क्रमांक 7 का हल
यशोधर बाबू के व्यक्तित्व के मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं यशोधर बाबू 'सिल्वर विंडग' नामक कहानी के चरित्र नायक है वे नए परिवेश में मिसफिट होने की त्रासदी झेलते हुए। परंपरापंथी व सिद्धांतवादी व्यक्ति हैं उनका चरित्र चित्रण इस प्रकार है.
(i). संस्कारी - यशोधर बाबू परंपरा वादीवा संस्कारी व्यक्ति हैं वे अपनी पुरानी आदतों और संस्कारों से बंधे हुए हैं उनका वर्तमान उनके संस्कारों से मेल नहीं खाता वह भारतीय संस्कृति, पूजा-पाठ ,भक्ति ,रामलीला, रिश्तेदारी अपना तो सादगी और सरलता को अपनाना चाहते हैं।
(ii) पाश्चात्य संस्कृति के विरोधी - यशोधर बाबू पाश्चात्य संस्कृति के नाम पर मनमानी करने उच्छृंखल होने कम कपड़े पहनने तथा नए नए उपकरणों को अपनाने के विरोधी थे उन्हें अपनी शादी के सिल्वर जुबली मनाना पत्नी या बेटी का आधुनिक कपड़े पहनना आपत्तिजनक लगता था। वास्तव में उनके संस्कार उन्हें अपनी तरह जीने के लिए प्रेरित करते हैं असावे इन संस्कारों को समहाउ इंप्रापर कहते हैं।
(ii) सादगी पसंद - यशोधर बाबू सरल शादी रिश्ते नाते वाली शांत सुरक्षित जिंदगी जीना चाहते हैं वे अपने गांव परिवेश धर्म और समाज की परंपराओं को भी निभाना चाहते हैं वह अपनी बहन बाबा नहीं के सुख दुख में भागीदार होना चाहते हैं।
रचनाएं - महादेवी जी ने गद्य और पद्य दोनों में रचनाएं की हैं जिन्हें निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
काव्य ग्रंथ - निहार (1934), यामा 1940, दीपशिखा (1942) आधुनिक कवि तथा संदिनी।
गद्य ग्रंथ - अतीत के चलचित्र , स्मृति रेखाएं (1943 ) ,श्रृंखला की कड़ियां, महादेवी का विवेचनात्मक गद्य( 1942 ) ,पथ के साथ
भाषा शैली
महादेवी वर्मा का संपूर्ण कब गीतिकाव्य इनके गीतिका की दो मुख्य शैलियां मिलती हैं
चित्र शैली और
प्रगीत शैली