छायावाद की चार विशेषताएं [chhayavad ki visheshta] class 10th 12th very very important question MP board 2024
छायावादी युग- "स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह ही छायावाद है"
डॉ रामकुमार वर्मा के अनुसार "परमात्मा की छाया आत्मा में पड़ने लगी है और आत्मा की छाया परमात्मा में, यही छायावाद है।
छायावादी युग की विशेषताएं-
1.प्रकृति का मानवीकरण- प्रगति पर मानव व्यक्तित्व का आरोप छायावादी की मुख्य विशेषता है। छायावादी कवियों ने प्रकृति को चेतन मानते हुए का सजीव चित्रण किया है
2.कल्पना की प्रधानता- छायावादी काव्य में कल्पना को प्रधानता दी गई है |छायावादी कवियों ने यथार्थ की अपेक्षा कल्पना को काव्य में अधिक अपनाया है |
3.व्यक्तिवाद की प्रधानता- छायावादी काव्य में व्यक्तिगत भावनाओं की प्रधानता है वहां कवि अपने सुख-दुख एवं हर्ष शोक को ही वाणी प्रदान करते हुए खुद को अभिव्यक्त किया है।
4.श्रंगार भावना - छायावादी काव्य मुख्यतः श्रृंगारी काव्य है।छायावाद का श्रंगार उपभोग की वस्तु नहीं अपितु कौतूहल और विस्मय में का विषय है ।
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छायावादी काव्य के प्रमुख कवि
जयशंकर प्रसाद - कामायनी, आंसू , लहर ,झरना
सुमित्रानंदन पंत- पल्लव ,वीणा, गुंजन, लोकायतन
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला- अनामिका, परिमल, गीतिका
महादेवी वर्मा- निहार रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत