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प्रयोगवाद की विशेषताएँ prayogvad ki visheshtai

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प्रयोगवादी युग

प्रयोगवादी काव्य का आरंभ 1943 में आगे के संपादन में प्रकाशित तार सप्तक से माना जाता है स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अग्नि प्रतीक मासिक पत्रिका का संपादन किया

प्रयोगवादी युग की विशेषताएं

बुद्धि बाद की प्रधाता- इस युग के कवियों ने भाव की अपेक्षा बुद्धि पर अधिक बल दिया है इस कारण काव्य में कहीं कहीं दूरूहता आ गई है ।

प्रेम भावनाओं का खुला चित्र- इस युग के कवियों ने प्रेम भावनाओं का अत्यंत खुला चित्रण किया है इसलिए उसमें अश्लीलता आ गई है ।

निराशा बाद की प्रधानता-  इस युग के कवियों ने मानव मन की निराशा कुंठा हुआ हताशा का यथार्थ चित्रण किया है।

मुक्त छंदों का प्रयोग- प्रयोगवादी कवियों ने अपनी कविताओं के लिए मुक्त छंदों का प्रयोग किया है।

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जीवनी और आत्मकथा में अंतर

प्रयोगवादी युग के प्रमुख कवि

अज्ञेय - हरी घास पर क्षण भर , इत्यल्म

धर्मवीर भारती - कनुप्रिया, अंधा युग

मुक्तिबोध -चांद का मुंह टेढ़ा है ,भूरी -भूरी खाक धूल

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना-काठ की घंटियां, बांस के पुल
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