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अमोनिया लुईस क्षार है क्यों ?

प्रश्न 01:- अमोनिया लुईस क्षार है क्यों ?



उत्तर - लुईस के अनुसार वे सभी पदार्थ जो 1 जोड़ी इलेक्ट्रॉन दान करते हैं या दान करने की प्रवृत्ति रखते हैं। लुईस कहलाते हैं। 

चूंकि- अमोनिया में केंद्रीय परमाणु नाइट्रोजन पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग में पाया जाता है। जिसे दान करके अमोनिया लुईस क्षार की भांति व्यवहार प्रदर्शित करता है। 

जैसे- कि निम्न अभिक्रिया से स्पष्ट है।


चित्र - 


प्रश्न 02:- अमोनिया बनाने की हैबर विधि का वर्णन निम्न बिंदुओं में कीजिए।
1.समीकरण
2.नामांकित चित्र
3.विधि

उत्तर - औद्योगिक स्तर पर अमोनिया बनाने के लिए हैबर विधि का उपयोग किया जाता है।

सिद्धांत या रासायनिक समीकरण :- एक आयतन N2 और तीन आयतन H2 को 450 - 500℃ ताप और 200 - 800 atm दाब पर फेरिक ऑक्साइड उत्प्रेरक और मोलिब्डेनम उत्प्रेरक वर्धक की उपस्थिति में गर्म करने पर अमोनिया प्राप्त होती है।


N2 + 3H3 → Feo/Mo→ 450-500℃ → 200-800 atm → 2NH3 (अमोनिया)


विधि - वायु से प्राप्त शुद्ध नाइट्रोजन और वाटर गैस से प्राप्त हाइड्रोजन को 1 : 3  के अनुपात में मिलाकर 200 से 800 atm दाब पर संपीड़ित कर के मिश्रण को एक कक्ष में भेजा जाता है। जिसमें 450 से 500 डिग्री सेल्सियस ताप पर उत्प्रेरक रखा होता है इस कक्ष से निकलने वाली गैसों में 10 से 15% अमोनिया होती है। इसे ठंडा करके या पानी में घोलकर द्रवित रूप में प्राप्त कर लिया जाता है जबकि शेष बची गैसो को पुनः संपीड़ित करके उत्प्रेरक कक्ष में भेजा जाता है और इस प्रकार अमोनिया प्राप्त की जाती है।


नामांकित चित्र -



चित्र - अमोनिया बनाने की हैबर विधि

प्रश्न 03:- अमोनिया के उपयोग लिखिए ?

उत्तर - अमोनिया रंगीन , तीक्ष्ण ,  गंध वाली गैस है जिसके  संपर्क से आंखों में आंसू आ जाते हैं।

इसके निम्न उपयोग है - 

  1. बर्फ के कारखानों और रेफ्रिजरेटर में प्रशीतक के रूप में।

  2.  अश्रु गैस के रूप में।

  3. औषधियां और उर्वरक (यूरिया) बनाने में।

  4. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।


प्रश्न 04:- निम्न को समझाइए।
1.सधूम नाइट्रिक अम्ल
2. अम्लराज

उत्तर - निम्न को इस प्रकार दर्शाया गया है -

1. सधूम नाइट्रिक अम्ल - यह गहरे भूरे रंग का द्रव है जिस में नाइट्रोजन परॉक्साइड की मात्रा सांद्र नाइट्रिक अम्ल से भी अधिक होती है यह साधारण अमल की अपेक्षा तीव्र होती है इसका उपयोग प्रबल ऑक्सीकारक के रूप में किया जाता है।


2. अम्लराज - एक भाग सांद्र HNO3 और 3  भाग सांद्र HCl का मिश्रण अम्लराज कहलाता है। इसमें Ag, Au, Pt  आदि उत्कृष्ट धातुओं को भी घोलने की क्षमता होती है क्योंकि इसमें से नवजात क्लोरीन उत्पन्न होती है। जो इन धातुओं से क्रिया करके घुलनशील क्लोराइड बनाती है।


(HNo3 + 3HCl → Nacl + 2H2o + 2Cl) ×3

(Au + 3Cl → AuCl3) × 2

3HNo3 +9HCl +2ACl→ 3Nocl+ 2AuCl3 + 6H2o


प्रश्न 05:- अपररूपता क्या है फास्फोरस के प्रमुख अपररूप कौन-कौन से हैं ?

उत्तर - जब कोई तत्व दो या दो से अधिक ऐसे रूपों में पाया जाता है जिनके रासायनिक गुण तो समान होते हैं किन्तु भौतिक गुण भिन्न भिन्न होते हैं तो ऐसे रूपों को अपररूप और इस गुण को अपररूपता कहते हैं।


फास्फोरस के उपयोग - फास्फोरस के 11 अपरूप ज्ञात हैं जिनमें से तीन प्रमुख है -

  1. श्वेत या पीला फास्फोरस

  2. लाल फास्फोरस 

  3. काला फास्फोरस


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