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रमन प्रभाव क्या है- Raman Effects in Hindi

रमन प्रभाव क्या है|रमन प्रभाव की क्रिया विधि समझाइए|रमन प्रभाव को कैसे प्राप्त किया जाता है । रमन स्पेक्ट्रम क्या है ?|रमन प्रभाव के क्वांटम सिद्धांत की व्याख्या कीजिए?

दोस्तों यदि आप गूगल पर सर्च कर रहे हैं कि रमन प्रभाव क्या है? रमन प्रभाव की क्रिया विधि का वर्णन करो? और रमन प्रभाव को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?रमन प्रभाव के क्वांटम सिद्धांत की व्याख्या कीजिए. तो इस आर्टिकल में आपको संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी । दोस्तों आपको बता दें कि यहां पर आपको बिल्कुल सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी यदि आप BSC 1st year, BSC 2nd year या BSC 3rd year के  स्टूडेंट्स है तो यह आपके लिए यह बहुत ही मददगार आर्टिकल होने वाला है क्योंकि यह प्रश्न आप के पेपर में हर साल पूछा जाता है इसलिए इस प्रश्न को आप जल्दी से याद कर लें और यहां पर आपको सभी महत्वपूर्ण प्रश्न ही उपलब्ध कराए जाते हैं तो चलिए देखते हैं क्या है - रमन प्रभाव क्या है? 

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Topic Cover-

  • रमन प्रभाव क्या है?
  • रमन प्रभाव की क्रिया विधि को समझाइए?
  • रमन प्रभाव को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
  • रमन प्रभाव के क्वांटम सिद्धांत की व्याख्या कीजिए? 

रमन प्रभाव क्या है- What Is Raman Effects

सन 1928 में सीवी रमन ने पारदर्शक पदार्थों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन का अध्ययन करने पर यह पाया कि जब एक वर्णी प्रकाश या किसी निश्चित आवर्ती वाले प्रकाश की किरण पुंज किसी पारदर्शक जैसे गैस, द्रव या ठोस माध्यम से गुजरती है तो आपतित प्रकाश का कुछ भाग प्रकीर्णित हो जाता है। इस प्रकीर्णित प्रकाश को आपतित किरण पुंज की दिशा के समकोण पर अध्ययन करने पर उसने पाया कि अधिकांश प्रकीर्णित प्रकाश की आवृत्ति तो अपरिवर्तित रहती है, लेकिन कुछ प्रकीर्णित प्रकाश की आवृत्ति में अंतर आ जाता है। इन प्रकीर्णित प्रकाशो के स्पेक्ट्रम को देखने से यह पता चलता है कि संपूर्ण स्पेक्ट्रम आपतित प्रकाश की रेखाओं के साथ आपतित प्रकाश की आवृत्ति से उच्च और निम्न आवर्ती वाले प्रकाश की रेखाओं से बना है। और यह उच्च आवृत्ति और निम्न आवर्ती वाली रेखाएं आपतित प्रकाश की रेखाओं के दोनों ओर फैली रहती है।

अत: प्रकीर्णन द्वारा आप प्रकाश की आवृत्ति में परिवर्तन होने की इस घटना को रमन प्रभाव कहते हैं तथा प्रकीर्णित प्रकाश के स्पेक्ट्रम को रमन स्पेक्ट्रम एवं उच्च एवं निम्न आवर्तीओं वाले प्रकाश में प्रकीर्णन को रमन प्रकीर्णन कहते हैं। रमन स्पेक्ट्रम दृश्य एवं पराबैंगनी प्रकाश में अध्ययन किया जा सकता है।

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रमन प्रभाव की क्रिया विधि समझाइए-  

रमन प्रभाव की क्रिया विधि क्वांटम यांत्रिकी के आधार पर स्पष्ट की जा सकती है। इसके अंतर्गत प्रकाश की किरणों v  आवर्ती और hv ऊर्जा वाले फोटो की धारा से बनी हुई मानी जाती है । यह फोटो पदार्थों के अणुओ से टकराते हैं। यदि यह टक्करे पूर्णतया प्रत्यास्थ हो तो फोटोन बिना ऊर्जा खोए या पाए प्रकीर्णित हो जाता है और प्रकाश की आपतित किरण को दिशा से समकोण पर रखें सनसूचक में v आवर्ती के रूप में प्राप्त हो जाते हैं। यानी आपतित विकिरण की आवर्ती और प्रकीर्णित विकिरण की आवर्ती एक समान होती है। 

यदि टक्करे अप्रत्यास्थ हो तो फोटोन और ऊर्जा के बीच ऊर्जा का आदान-प्रदान हो सकता है, जिसके अंतर्गत अणु ऊर्जा प्राप्त कर सकता है और हो खो भी सकता है। यानी अणु की ऊर्जा ∆E होती है यदि अणु फोटोन से ∆E ऊर्जा प्राप्त करता है तो प्रकीर्णित फोटोन के साथ(hv-∆E) ऊर्जा संलग्न होगी अर्थात विकरण के फोटोन की आवर्ती(hv-∆E/h) होगी जो कि आपतित विकरण की आवर्ती से कम होती है । इस विकिरण को स्टॉक्स विकिरण कहते हैं। स्पेक्ट्रम में प्राप्त इस आवृत्ति को स्टॉक्स रेखा कहते हैं 

यदि अणु फोटॉन को AE ऊर्जा प्रदान कर देता है तो प्रकर्णित विकिरण के फोटॉन की आवृत्ति (v + AE/h) होगी जो कि आपतित किरण के फोटॉन की आवृत्ति v से अधिक है। इस उच्च आवृत्ति वाली प्रकीर्णी विकिरण को प्रति स्टॉक्स विकिरण कहते हैं। स्पेक्ट्रम में प्राप्त इस विकिरणें को प्रति स्टॉक्स कहते हैं।

चूँकि स्टॉक्स विकिरण में संलग्न ऊर्जा प्रति स्टॉक्स विकिरण से संलग्न ऊर्जा से अधिक होती है। इसलिये स्टॉक्स विकिरणों की तुलना में अधिक तीव्र होती है।

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रमन प्रभाव को कैसे प्राप्त किया जा सकता है-

 स्मेकल ने 1923 ई. में सैद्धान्तिकतः प्रागुक्तिकीय, किसी भी अवस्था (ठोस, द्रव या गैस) में किसी पदार्थ को एकवर्णी प्रकाश से प्रदीप्त करने पर प्रकीर्ण प्रकाश (scattered light) में आपतित प्रकाश (incident light) का आवृत्ति से भिन्न आवृत्तियाँ प्राप्त होंगी। सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने 1928 ई. में अनेक प्रयोग से स्मेकल के कथन को प्रमाणित किया। प्रोफेसर रमन द्वारा सरलतम उपकरण का प्रयोग किया गया है इस उपकरण में प्रयुक्त गोल पेंदी वाला काँच का फ्लास्क धूल से मुक्त बैंजीन या टॉलुईन से भरा गया। फिर मरकरी आर्क से आ रहे प्रकाश को अच्छी तरह फिल्टर करके लैंस की सहायता से 4,358A° के प्रकाश से द्रव को प्रकाशित किया गया। आपतित प्रकाश किरण की दिशा के लम्बवत् दिशा में स्पेक्ट्रो स्कोप लगाकर प्रकीर्ण प्रकाश को देखा गया।प्रकीर्णित विकिरणें जिन्हें रमन रेखायें कहते हैं, स्पेक्ट्रम के दोनों ओर पायी गयीं और इन विकिरणों में से कुछ की आवृत्तियाँ आपतित प्रकाश की आवृत्ति से अधिक और कुछ की कम थीं।

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चित्र- रमन प्रकीर्णन का निरूपण

इस प्रकार 1928 ई. में रमन प्रभाव का आविष्कार हुआ। जिसके अनुसार "किसी भी अवस्था (ठोस, द्रव या गैस)' में किसी पदार्थ को एक निश्चित आवृत्ति के प्रकाश में उद्भाषित (expose) करने से प्राप्त प्रकीर्ण प्रकाश में आपतित प्रकाश की आवृत्ति से भिन्न-भिन्न आवृत्तियों की विकिरणें होती हैं और प्रकीर्ण प्रकाश उद्भासित पदार्थ का अभिलाक्षणिक होता है।'

प्रकीर्ण प्रकाश में रेखाओं की श्रेणी को रमन स्पेक्ट्रम कहते हैं। रमन प्रभाव द्वारा जिन विकिरणों के तरंगदैर्ध्य परिवर्तित हो जाते हैं उनके संगत रेखाओं को रमन रेखायें कहते हैं। रमन स्पेक्ट्रम में आपतित प्रकाश की आवृत्ति से कम आवृत्ति वाले भाग में स्थित रेखाओं को स्टोक्स रेखायें (stokes lines) कहते हैं तथा उच्चतर आवृतियों की संगत रेखाओं को प्रति स्टोक्स रेखायें (anti stokes lines) कहते हैं। यदि v आपतित विकिरणों की आवृत्ति एवं V आण्विक स्पीशीज द्वारा प्रकीर्ण विकिरण की आवृत्ति हो तो रमन विस्थापन निम्न दत्त सम्बन्ध द्वारा परिभाषित किया जा सकता है- ∆v = Vi-Vs

दूसरे शब्दों में यदि Vi, आपतित प्रकाश की तरंग संख्या और Vs, प्रकीर्ण स्पेक्ट्रम की विशेष रेखा की तरंग संख्या हो तो रमन आवृत्ति (Raman frequency) Vi - Vs, होगी ।रमन आवृत्ति ∆V = V - V.


अर्थात् आपतित व प्रकीर्ण विकिरणों की आवृत्तियों में अन्तर प्रकीर्णन पदार्थ की प्रकृति द्वारा निर्धारित किया जाता है और आपके प्रकाश के प्रभाव से यह सर्वथा मुक्त होता है । कम्पन ऊर्जा परिवर्तनों में रमन विस्थापन 100-400 प्रति सेंटीमीटर परास में आता है।

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