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अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं-परिभाषा उदाहरण सहितSkteach

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं? अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित ।

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए class 9th to 12th most important question.

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं? अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित । अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए class 9th to 12th most important question.

प्रश्न .अनुप्रास अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए class 9th to 12th most important question.

उत्तर

अनुप्रास अलंकार : वर्णों की आवृत्ति बार-बार आधार पर जहां वर्णों की पुनरावृत्ति से चमत्कार उत्पन्न होता है या जहां व्यंजनों की आवृत्ति बार-बार होती है, तब अनुप्रास अलंकार होता है। किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना आवृत्ति है। अर्थात जिस कविता में वर्ण या वर्णों का समूह बार-बार आते हैं,उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं ।


अर्थात् वणनीय रस की अनुकूलता के लिए वर्णों का बार बार आना या पास पास प्रयोग होना अनुप्रास अलंकार कहलाता है ।


अनुप्रास अलंकार की परिभाषा 

जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्णं की बार-बार आवृत्ति हो तो वह अनुप्रास अलंकार के लाता है। किसी विशेष वर्णं की आवृत्ति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है।


इस अलंकार में किसी वर्णं या व्यंजन की एक बार या अनेक वर्णों या व्यंजनों की अनेक बार आवृत्ति होती है ।


दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि - 


अनुप्रास शब्द दो शब्दों के योग से बना हुआ है। 

अनु + प्रास, जहां पर अनु का अर्थ बार बार और प्रास का अर्थ वर्ण से है। अर्थात जब किसी वर्णं की बार-बार आवृत्ति हो तब जो चमत्कार उत्पन्न होता है उसे हम अनुप्रास अलंकार कहते हैं।  जैसे



•  चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल   थल में।


ऊपर दिए गए वाक्य में वर्ण की आवृत्ति हो रही है और इससे वाक्य सुनने में और सुंदर लग रहा है । हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा ।


•  कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी ।


जैसा कि आप ऊपर दिए गए वाक्य में देख सकते हैं कि लगभग हर शब्द में वर्ण की आवृत्ति हो रही है। जिससे कि वाक्य की शोभा बढ़ रही है जैसा की परिभाषा में भी बताया गया है कि जब किसी काव्य की शोभा बढ़ाने के लिए एक ही वर्ण की आवृत्ति होती है। तो वह अनुप्रास अलंकार होता है अतः यह काव्यांश अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।


•  रघुपति राघव राजा राम।


ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं हर शब्द में वर्ण की बार-बार आवृत्ति हुई है जिससे इस वाक्य की शोभा बढ़ रही है। साथ ही हम यह भी जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी एक वर्ण की आवृत्ति होती है तो उस वाक्य में अनुप्रास अलंकार होता है। अतः यह वाक्य वी अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।


• जे न मित्र दुख होहि दुखारी, तिन्हहि बिलोकत पातक भारी ।

निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरू सामना ॥


ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं यहां वर्ण की बार-बार आवृत्ति हुई है जिससे इस वाक्य की शोभा बढ़ रही है। साथ ही हम यह भी जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी एक वर्ण की आवृत्ति होती है तो उस वाक्य में अनुप्रास अलंकार होता है। अतः यह वाक्य वी अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।


• कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी ॥


जैसा कि आप ऊपर दिए गए वाक्य में देख सकते हैं की क , भ   वर्ण की आवृत्ति हो रही है। जिससे कि वाक्य की शोभा बढ़ रही है जैसा की परिभाषा में भी बताया गया है कि जब किसी काव्य की शोभा बढ़ाने के लिए एक ही वर्ण की आवृत्ति होती है। तो वह अनुप्रास अलंकार होता है अतः यह काव्यांश अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।


• तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ||


जैसा कि आप देख सकते हैं कि ऊपर दिए गए उदाहरण में वर्ण की आवृत्ति हो रही है, हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है तब वह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आता है अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार का है।


• कालिंदी कूल कदंब की डरिन


जैसा कि आप देख सकते हैं कि ऊपर दिए गए उदाहरण में वर्ण की आवृत्ति हो रही है, हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है तब वह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आता है अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार का है।


• सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं ।


इसे काव्य पंक्ति में पास पास प्रयुक्त सुरभीत सुंदर सुखद और सुमन शब्दों में वर्ण की बार-बार आवृत्ति हुई है अतः यहां पर अनुप्रास अलंकार है।


• कर कानन कुंडल मोर पखा,

उर पे बनमाल बिराजति है ॥


इस काव्य पंक्ति में वर्ण की आवृत्ति तीन बार और वर्ण की दो बार आवृत्ति होने से चमत्कार उत्पन्न हो गया है। हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है तब वह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आता है अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार का है।



अनुप्रास अलंकार के कुछ और उदाहरण - 



1. मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, 

मनुज वेश का उजियाला ॥


2. जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सूर भूप |

विश्व बदर झ्व धृत उदर जोवत सोवत सूप ॥


3. प्रतिभट कटक कटीले केते काटि-काटि ।

कालिका सी किलकि कलेऊ देत काल को ॥


4. कायर क्रुर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं ॥


5. जो खग हौं बसेरो करौं मिल,

कालिन्दी फूल कदम्ब की डारन ॥


6. कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि ।

कहत लखन सन राम हृदय गुनि ॥


7. मुदित महीपति मंदिर आये ।

सेवक सचिव सुमंत बुलाये ॥


8.बंदऊं गुरु पद पदुम परागा ।

सुरूचि सुबास सरस अनुरागा ॥


9. इस करुणा कलित हृदय में,

क्यों विकल रागिनी बजती है ॥


10.चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई ।


11.पूत सपुत तो का धन संचय ।

पूत कपूत तो का धन सचय ॥


12.तुझे देखा तो यह जाना सनम ।

प्यार होता है दीवाना सनम ॥


13.तेही निसि सीता पहुँ जाई ।

त्रिजटा कहि सब कथा सुनाई ॥


14.संसार की समर स्थली में धीरता धारण करो ।

लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल ।


15.प्रसाद के काव्य कानन की काकली कहकहे

लगाती नजर आती है ।


16.विमल वाणी ने वाणी ली कमल कोमल कर में सप्रीत ॥

संसार की स्मरस्थली में धीरता धारण करो ॥


17.विभवशालिनी , विश्वपालिनी , दुख : हत्री हैं, भय ।

निवारिणी शन्तिकारिणी सुखकर्ती हैं।


18.भगवती भारती भावु सर्वथा ।

चरर मरर खुल गए अरर ख स्फुटो से ।




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