उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
प्रश्न उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
उत्तर
परिभाषा- जब किसी वस्तु का वर्णन करने के लिए उससे अधिक प्रसिद्ध वस्तु से गुण, धर्म आदि के आधार पर उसकी समानता की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
अन्य शब्दों में 'जहां पर उपमेय की उपमान से किसी सामान धर्म के आधार पर तुलना की जाए वहां उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण -
(1) मुख मयंक सम मंजु मनोहर।
इस काव्य पंक्ति में मुख उपमेय है,चंद्रमा को उपमान है, मनोहर समान धर्म है तथा सम वाचक शब्द होने से उपमा अलंकार परिपुष्ट हो रहा है।
(2) प्रातः नभ था, बहुत नीला शंख जैसे।
इस का०य पंक्ति में नभ की उपमा शंख से दी जा रही है। यहां शंख उपमान है, नभ उपमेय है तथा नीला समान धर्म है। यहाँ 'जैसे' समानता वाचक शब्द का प्रयोग हुआ है।
उपमा अलंकार के अंग -
उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं :
- उपमेय
- उपमान
- साधारण धर्म, और
- वाचक शब्द
उदाहरण -
सागर-सा गंभीर हृदय हो,गिरी सा ऊचा हो जिसका मन
उपमेय : जिस वस्तु या व्यक्ति के बारे में बात की जा रही है या जो वर्णन का विषय है वह उपमेय कहलाता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में हृदय एवं मन में उपमेय है ।
उपमान : वाक्य या काव्य में जिस प्रसिद्ध वस्तु से तुलना की जा रही हो वह उपमान कहलाता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में सागर एवं गिरी उपमान है।
साधारण धर्म : साधारण धर्म का उपमान और उपमेय में समानता का धर्म होता है। अर्थात जो गुण उपमान और उपमेय दोनों में हो जिससे उन दोनों की तुलना की जा रही है वही साधारण धर्म कहलाता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में गंभीर एवं ऊँचा उनका साधारण धर्म है।
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