Cg Board 12th political science August Assignment-01 Solution
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर
असाइनमेंट -1
कक्षा बारहवीं
विषय राजनीति विज्ञान
प्रश्न 1 गुटनिरपेक्ष आंदोलन की तीसरी दुनिया के देशों में तीसरे विकल्प के रूप में समझा जब शीत युद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशों के विकास में कैसे मदद पहुंचाई
उत्तर- विश्व युद्ध के बाद जब शीत युद्ध अपने चरम पर था तब गुटनिरपेक्ष आंदोलन के रूप में एक नई धारणा उभर कर के सामने आई
गुटनिरपेक्ष देश शीत युद्ध के दौरान महज करने वाले देश भर नहीं थे उन्हें अल्पविकसित देशों का दर्जा भी मिला था उसी वक्त पूरी दुनिया को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया
1-पहली दुनिया पूंजीवाद गुट
2-दूसरी दुनिया साम्यवादी गुट
3-तीसरी दुनिया (अल्प- विकसित हुआ उपनिदेशक)
इन देशों के सामने मुख्य चुनौती आर्थिक रूप से और ज्यादा विकास करने तथा अपनी जनता को गरीबी से उभारने की थी नव- स्वतंत्र देशों की आजादी के लिहाज से ही आर्थिक विकास महत्वपूर्ण था बगैर टिकाऊ विकास की कोई देश सही मायनों में आजाद नहीं रह सकता उसे धनी देशों पर निर्भर रहना पड़ता इसमें वह उपनिदेशक देश भी हो सकता था जिससे राजनीतिक आजादी हासिल की गई
इसी समझ से नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की धारणा का जन्म हुआ 1972 में इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन में टुवाडरस अन्यू ट्रेड पॉलिसी इसी समझ में से नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की धारणा का जन्म हुआ 1972 में इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन में टुवाडरस से अन्यूट्रेड पॉलिसी फॉर डेवलपमेंट शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें तीसरी दुनिया के देशों के विकास के लिए निम्नलिखित सुझाव पर बल दिया गया
1- अल्प विकसित देशों को अपने उन प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण प्राप्त होगा जिनका दोहन पश्चिम के विकसित देश करते हैं|
2- पश्चिमी देशों से मंगाई जा रही प्रौद्योगिकी की लागत कम हो जाएगी
प्रश्न 2 महा शक्तियों को छोटे देशों के साथ सैनिक गुट बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी कोई चार कारण लिखिए
उत्तर -महा शक्तियों द्वारा छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन रखें के तीन कारण निम्नलिखित हैं
1- महा शक्तियां छोटे देशों के भूभाग को अपने सैनिक साधनों के रूप में प्रयोग करना चाहती थी इनमें विरोधी देशों पर आक्रमण करने के लिए अपने सैनिक अड्डे बनाना तथा सैनिक जासूसी करना महत्वपूर्ण था
2- महाशक्ति छोटे देशों से सैन्य गठबंधन करके युद्ध में व युद्ध की सामग्री पर होने वाले खर्च को छोटे-छोटे देशों में बाटकर अपने खर्च के बोझ को हल्का करना चाहती थी
3- महाशक्ति छोटे देशों से सैन्य गठबंधन करके उन देशों के महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों जैसे खनिज व तेल आदि पदार्थों को अपने हित में प्रयोग करना चाहती थी
4- छोटे देश सैन्य गठबंधन के अंतर्गत आने वाले सैनिकों को अपने देश में रखते थे जिससे महा शक्तियों पर आर्थिक दबाव कम पडता था
प्रश्न 3 सोवियत संघ को महाशक्ति बनाने वाले कारकों को लिखिए
उत्तर -कारक जिन्होंने सोवियत संघ को एक महाशक्ति बनाने में मदद दी थी
1- दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ महाशक्ति के रूप में उभरा अमेरिका को छोड़ दें तो सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था शेष विश्व की तुलना में कहीं ज्यादा विकसित थी
2- सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत उन्नत थी उसके पास विशाल ऊर्जा संसाधन थे जिसमें खनिज तेल लोहा और इस्पात तथा मशीनरी उत्पाद शामिल थे
3- सोवियत संघ के दूरदराज के इलाके भी आवागमन की सुव्यवस्थित और विशाल प्रणाली के कारण आपस में जुड़े हुए थे
4- सोवियत संघ का घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था और पेन से लेकर कार तक सभी चीजों का उत्पादन वहां होता था यद्यपि सोवियत संघ के उपभोक्ता उद्योग बनने वाली वस्तुएं गुणवत्ता के लिहाज से पश्चिमी देशों के स्तर की नहीं थी
प्रश्न 4 भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए
उत्तर भारत के सोवियत संघ से संबंध हमेशा से ही मैत्रीपूर्ण रहे हैं इसमें कोई दो राहे नहीं कि सोवियत संघ के विघटन से विश्व राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए उसके पश्चात विश्व में केवल अमेरिका ही एकमात्र महाशक्ति के रूप में सामने आया इसी कारण से उसने भारत तथा अन्य विकासशील देशों को कई प्रकार से प्रभावित करना आरंभ कर दिया इन देशों की यह मजबूरी बन गई कि वह अपने विकास के लिए अमेरिका से धन तथा सैन्य सम्मान प्राप्त करें
इतना ही नहीं सोवियत संघ के विघटन के पश्चात अमेरिका का विकासशील देशों जैसे अफगानिस्तान ईरान तथा इराक में अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ गया था विश्व के कई महत्वपूर्ण संगठन विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि पर अमेरिकी प्रभुत्व कायम हो गया था जिसके कारण भारत जैसे देशों को इनसे सहायता लेने के लिए अमेरिकन नीतियों का ही समर्थन करना पड़ा इसके परिणाम स्वरूप सोवियत संघ के साथ उनके रिश्ते में कुछ कमियां आ गई
सोवियत संघ विघटन के बाद एक संका यह उठने लगी कि अब भारत व सोवियत संघ के संबंधों का क्या होगा क्या ये दोनों देश से ऐसे समय में अपने संबंधों को बनाए रख पाएंगे क्या विभाजन के बाद स्वतंत्र गणराज भारत के साथ संबंध कायम रख पाएंगे 26 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ के विभाजन के बाद भारत और सोवियत संघ के संबंध इस प्रकार से प्रभावित हुए
प्रश्न 5 निम्नलिखित घटनाओं को कालक्रम अनुसार लिखिए
उत्तर- नाटो की स्थापना- 1949
2-प्रथम विश्व युद्ध -1914
3- हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराना-1945
4- पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन-1961