Bihar Board Metric 10th Hindi Sent Up Exam Questions paper 2022|10th Bihar Board Sent Up Exam Hindi Question paper 2022
खण्ड - ब (विषयनिष्ठ
(Q. 1) क -उत्तर- गधाश
(Q.1) क (i) –उत्तर - समय प्रकृति का दिया हुआ सबसे मूल्यवान उपहार है ।
(Q.1) क (ii) उत्त समय पर कार्य करने वाले व्यक्ति को काभी निराशा का मुह नहीं देखना पड़ता है।
(Q.1) क 3-उत्तर - समय का सदा सदुपयोग करना चाहिए ।
(Q.1) क (iv) –उत्तर- बीते हुए समय को फिर लौटाना संभव नहीं
(Q.1) क (v) –उत्तर - समय पर पढ़ने वाले विधार्थी असफल नहीं होता है।
Que 2 क- उत्तर गधांश
(Q.2) क (i) –उत्तर - सूरज पर धब्बों का एक चक्र लगभग ग्यारह वर्ष का होता है।
(Q.2) क (ii) –उत्तर – पिछले कई साल से सूरज पर धब्बे दिखने बंद हो गए है इससे दुनिया भर के वैज्ञानिक चकित है ।
(Q.2) क (iii) –उत्तर - सूरज के धब्बों के गायब होने का अर्थ है की उसकी चुंबकीय क्षमता खत्म हो रही है और वह सिकुड़ रहा है
(Q.2) क (iv) –उत्तर - सूरज यदि अपनी चुंबकीय क्षमता खो देगा तो उससे पृथ्वी को होनेवाली हानी की कल्पना नहीं की जा सकती है मानव जीवन असंभव हो जाए
(Q.2) क (v) –उत्तर - नासा के वैज्ञानि के मुताबिक, जानकारी में एसा अब तक नहीं हुआ की सूरज पर धब्बे बिल्कुल न दिखाई पढ़े हो।
(Q. 4) उत्तर - पत्र लेखन
कोलकाता
16 जुलाई 2022
प्रिय रोहन,
यह बहुत ही खुशी की बात है तुमने अपने दसवीं के बोर्ड में 98% अंक हासिल किया और अपने जिले में टॉप हुए। इसकी जितनी तारीफ करे उतनी कम है।
हम भाई-बहनो के वीच तुमने ही सबसे ज्यादा अंक हासिल किया और एक मिसाल ही कायम कर दिया। तुम्हारी इस सफलता की वजह से हमारे पिताजी इतने खुश है की में शब्दों में बयां नहीं कर सकता। उन्हें तुम पर बहुत फक्र हो रहा है। मुझे तुम पर पूरा विश्वास हे की तुम अपने इस परिणाम से बहुत प्रसन्न होंगे। और अपने आगे की पढाई के बारे में पूरी तरह से केंद्रित होंगे क्योंकि तुम्हारा यही एक फेसला तुम्हे तुम्हारे लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगा। पत्र लिखकर यह जरूर बताना की तुमने क्या फैसला किया?
तुम्हारा शुभचिंतक
Sk Kushwah
Que.3 Ans निबंध
हमारे देश में सर्वप्रथम 1961 में कंप्यूटर का प्रयोग शुरू हुआ किंतु राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल (1984-1989) के दौरान विविध क्षेत्रों में कंप्यूटर का जिस बड़े पैमाने पर प्रचलन बढ़ा उसे मद्देनजर रख पर्यवेक्षकों ने उनके कार्यकाल को कंप्यूटर क्रांति की संज्ञा दी।
लेखन तथा गणना के क्षेत्र में विगत पांच दशकों में आश्चर्यजनक प्रगति हुई है। कम्प्यूटर भी इन्ही आश्चर्यजनक आविष्कारों में से एक है। कम्प्यूटर शब्द को हिन्दी भाषा में शामिल कर लिया गया है। वैसे इसका हिन्दी पर्याय कामिल बुल्के ने अपने अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश में दिया है। आज दफ्तरों, स्टेशनों, बड़ी-बड़ी कम्पनियों, टेलीफोन एक्सचेंजों आदि अन्य अनेक ऐसे कल-कारखानों में जहां गणना करने अथवा काफी मात्रा में छपाई का काम करने की जरूरत होती है वहां भी कम्प्यूटर लगाए गए हैं ताकि कर्मचारियों की संख्या में कटौती की जा सके। कम्प्यूटर अब वह काम भी करने लगे हैं जो मानव के लिए काफी श्रम साध्य तथा समय लेने वाले हैं।
कम्प्यूटर की पहली परिकल्पना सन् 1642 में साकार हुई जब जर्मन वैज्ञानिक ब्लेज़ पॉस्कल ने संसार का पहला सरल कम्प्यूटर तैयार किया था। इस कम्प्यूटर में ऐसी कोई खास जटिलता नहीं थी फिर भी अपने समय में यह आम लोगों के लिए एक कौतूहल का विषय अवश्य था। समय बीता और अन्य लोग भी इस पिटारेनुमा कम्प्यूटर से प्रभावित और उत्साहित हुए। सन् 1680 में जर्मनी में ही विलियम लैबनिट्ज ने एक ऐसे गणना-यंत्र का आविष्कार किया जिसके माध्यम से जोड़, घटा, गुणा, भाग और वर्गमूल तक निकाले जा सकते थे। खोज का काम नहीं रुका, यह कभी चला, कभी आगे बढ़ा और सन् 1801 में उक्त मशीन से प्रेरित होकर जोजेफ एम. जाकवार्ड ने एक ऐसा करघा यंत्र कम्प्यूटर के विकास को काफी सहायता मिली। वर्तमान कम्प्यूटर डॉ. का अति आधुनिक विकसित रूप है
कम्प्यूटर का निरन्तर विकास हो रहा है।ई.सी.जी. रोबोट, मानसिक कम्पन, रक्तचाप तथा न जाने कितने जीवन-रक्षक कार्यों के लिए कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस, हालैण्ड, स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन जैसे समृद्ध देशों में इसका स्थान मनुष्य के दूसरे दिमाग के रूप में माना जाता है। प्रगति होती जा रही है। शायद वह दिन दूर की बराबरी करने लगेगा। में भी कम्प्यूटर विज्ञान की निरंतर जब भारत भी इस क्षेत्र में समुन्नत देशों की बराबरी करने लगेगा।
आज कम्प्यूटर के विविध तथा बहुक्षेत्रीय उपयोग हो रहे हैं। भारत में कम्प्यूटर कितने लाभप्रद तथा कितने अलाभकारी है-इस पर भी विचार करना जरूरी है। यह बात तो हमें स्वीकार कर ही लेनी चाहिए कि कम्प्यूटर भी मानव निर्मित उपकरण है जिसमें आंकड़े, सूचनाएं, अंक, हिसाब-किताब आदि मानव के द्वारा ही भरे जाते हैं। अतः यदि मानव से कोई त्रुटि हो जाए तो वह कम्प्यूटर में बार-बार तब तक होती रहेगी जब तक वह सुधारी न जाए। अतः यह कहना कि कम्प्यूटर गलती नहीं करता, एक गम्भीर तथ्य को अस्वीकार करना है। भारत जैसा विकासशील देश भी विविध क्षेत्रों में कम्प्यूटर का उपयोग करने लगा है। इससे उन सभी क्षेत्रों में उत्पादकता व कार्यकुशलता बढ़ी है। इन क्षेत्रों में विज्ञान, शिक्षा, व्यवसाय, सूचना, प्रौद्योगिकी आदि प्रमुख हैं।
हमारा देश विकासशील देश है जहां प्रतिवर्ष हजारों नहीं लाखों की संख्या में बेकार युवक बढ़ते जा रहे हैं। कम्प्यूटरों का बहुक्षेत्रीय उपयोग मानव मस्तिष्क को पंगु बना देता है और उसे अपने कार्य में सहज निरंतर प्रगति करते रहने की भावना में बाधा डालता है। ऐसा देखने में आया है कि निरंतर हिसाब-किताब तथा ड्राफ्टिंग करने वाले लोग मिनटों में बड़े-बड़े हिसाब-किताब हल कर डालते हैं। ऐसा वे अपने निरंतर अभ्यास के बल पर करते हैं। गणित से सम्बद्ध कार्यों, ड्राफ्टिंग तथा अन्य क्षेत्रों में अनुभवी लोगों के करिश्मे आए दिन अखबारों में पढ़ने को मिलते हैं। कम्प्यूटरीकरण इन सब प्रगति के लिए बाधक और भयावह है।
विज्ञान के उपहारों को नकारना आज के युग में संभव नहीं है। इसलिए कम्प्यूटरीकरण भी आज समय की मांग बन चुका है। भारत में लगभग सभी निजी व्यावसायिक संस्थानों, बैंकों, कई सरकारी संस्थानों व सेवाओं को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है। भविष्य में भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी।
Que 5 (क)- उत्तर
उत्तर मानवीय जीवन में सुख और दुःख के समय व्यतीत होते हैं। जीवन परिवर्तनशील पथ पर अग्रसर होता है । मानव उतार-चढ़ाव देखता है। पत्थर भी मानव की तरह परिवर्तनशील समय का सामना करता है । पत्थर भी शीत और ताप दोनों का सान्निध्य पाता है । मानव अपनी प्राचीन गाथा को गाता है पत्थर भी प्राचीनता को अपने में सहेजे रखता है। मानव अपनी भावनाओं को प्रकट करता है। परन्तु पत्थर मूक रहता है ।
(Q.5) ख -उत्तर-
उत्तर—मछलियों को झोले (थैला) में गली में इसलिए घुस गए क्योंकि दूसरे रास्ते भीड़ थी और भीड़ से भरी हुई नहीं थी। साथ ही, पत ली में से घर नजदीक था ।
(Q.5) ग -उत्तर-
उत्तर-शिक्षा का प्रारंभ इस तरह किया जाए कि बच्चे उपयोगी दस्तकारी सीखें और जिस क्षण से वह अपनी तालीम शुरु करें उसी क्षण उन्हें उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए। इस प्रकार की शिक्षा-पद्धति में मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास संभव है।
(Q.5) ङ
उत्तर- प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि बिना भक्त के भगवान भी एकाकी और निरुपाय हैं। उनकी भगवत्ता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है। व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
(Q.5) च - उत्तर -
उत्तर—कवि गरीब बस्तियों के उल्लेख के माध्यम से कहना चाहता है कि जहाँ के लोग दो जून रोटी के लिए काफी मसक्कत करने के बाद भी तरसते हैं वहाँ पूजा-पाठ, देवी जागरण जैसा महोत्सव के बहाने कुछ स्वार्थी लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए गरीब लोगों का उपयोग करते हैं।
(Q.6) उत्तर-
उत्तर- प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हिंदी पाठ्य पुस्तक के ललित निबंध 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' पाठ से ली गई है। इस पंक्ति के माध्यम से निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी ने नाखून बढ़ाना पाश्विक प्रवृत्ति और काटना मानवीय प्रवृत्ति का अत्यन्त लाक्षणिक और स्वाभाविक रूप में वर्णन किया है
निबंधकार यहाँ मनोवैज्ञानिक रूप का अंश भी प्रस्तुत करते हैं। यह स्पष्ट है कि मनुष्य वर्तमान परिवेश में बौद्धिकता का महानतम स्वरूप है । सभ्यता और संस्कृति के सोपान पर हमेशा अग्रसर है दिनों-दिन पाशविक प्रवृत्ति को समाप्त करने में अपनी ईमानदारी का परिचय दे रहा है। इस आधार पर लेखक को विश्वास है कि यदि नाखून बढ़ते हैं तो मनुष्य उन्हें निश्चित रूप से बढ़ने नहीं देगा अर्थात् पाशविक प्रवृत्ति का लक्षण ज्यों ही दिखाई पड़ता है मनुष्य उसे काट देता है। यह आशावादी विचारधारा लेखक को एक सुसंस्कृत और सभ्य समाज स्थापित होने में सहायक होता है ।