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युजीसी ने बताया ,इन तारीखो को हो परीक्षा ,इस तरह होंगे university के एग्ज़ाम

युजीसी ने बताया ,इन तारीखो को हो परीक्षा ,इस तरह होंगे university के एग्ज़ाम


Ramesh Pokhariyal Nishankगाइडलाइन जारी करने से पहले UGC के अधिकारियों के साथ केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक. (फोटो- ट्विटर, MHRD)


लॉकडाउन के चलते पढ़ाई और रिसर्च प्रक्रिया बुरी तरीके से प्रभावित हुई है. ऐसे में छात्र  एकेडमिक नुकसान से बचाने और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए UGC यानी university   ग्रांट्स कमीशन ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी. इस एक्सपर्ट कमेटी के रिकमेंडेशन्स के आधार पर university  के एकेडमिक कैलेंडर और परीक्षाओं के लिए UGC ने ये गाइडलाइन्स जारी किए हैं.





एकेडमिक कैलेंडर के लिए-


  • Online लर्निंग, video कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 1 जून से 15 जून 2020 तक syllabus, project work, रिसर्च वर्क, internal test पूरे कर लिए जाएं.




  • विश्वविद्यालय 1 जुलाई से 31 जुलाई तक परीक्षाएं आयोजित करा सकते हैं. सबसे पहले 1 से 15 जुलाई तक final year/ semester(UG,PG) के एग्जाम होंगे. इसके बाद 16 जुलाई से 31 जुलाई तक बाकी एग्जाम कराए जाएंगे. इसके बाद प्रथम ईयर और second वर्ष की परीक्षा आयोजित करेगा।



  •  फाइनल ईयर/सेमेस्टर स्टूडेंट्स के नतीजे 31 जुलाई तक आ जाएंगे. जबकि बाकी के नतीजे 14 अगस्त तक जारी किए जा सकते हैं.



  •  एकेडमिक सेशन 2020-21 पुराने छात्रों (2nd, 3rd year) के लिए 1 अगस्त 2020 से और नए छात्रों (1st year) के लिए 1 सितंबर 2020 से शुरू किया जा सकता है.


Jiwaji University 3rd year time table 2020



परीक्षा के लिए


  • अपने नियमों, परीक्षा की योजनाओं और सोशल डिस्टेंशिंग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ग्रेजुएशन/मास्टर्स की परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं. University अपने पास उपलब्ध संसाधनों के जरिये online /online exam करबा सकते हैं ।



  • कम समय में परीक्षा की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए university और सरल तरीके अपना सकते हैं. परीक्षा के समय को 3 घंटे की बजाय 2 घंटे किया जा सकता है.



  • university इस बात को सुनिश्चित करें कि परीक्षा में सभी छात्रों को उचित अवसर मिले. इसलिए university अपनी तैयारी का स्तर, छात्र की आवासीय स्थिति, COVID-19 के फैलाव का आकलन करने के बाद ही परीक्षा आयोजित कराने को लेकर फैसला करें.



अगर स्थिति सामान्य नहीं दिखाई देती है तो छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंटर्नल टेस्ट के आधार पर 50 प्रतिशत अंक दिए जा सकते हैं. बाकी के 50 प्रतिशत अंक पिछले सेमेस्टर में प्रदर्शन के आधार पर दिए जा सकते हैं.


  •  जहां पिछले सेमेस्टर के अंक उपलब्ध नहीं हैं (जैसे फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स) वहां इंटर्नल एग्जाम के आधार पर 100 प्रतिशत मूल्यांकन किया जाए.



  •  अगर किसी स्टूडेंट को लगता है कि उसे कम नंबर मिले हैं तो वह अगले समेस्टर में फिर से एग्जाम देकर अपने नंबर सुधार सकता है.



  •  लॉकडाउन के दौरान सभी छात्रों को उपस्थित माना जा सकता है.



  • रिसर्च प्रोजेक्ट्स में लगे ग्रेजुएशन/मास्टर्स के स्टूडेंट्स को लैब या फील्ड के बजाय डेटा या सॉफ्टवेयर बेस्ड प्रोजेक्ट्स दिए जा सकते हैं.



  •  university स्काइप या दूसरे ऐप्स के जरिए वाइवा और प्रैक्टिकल एग्जाम करा सकती है.



  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएचडी और एमफिल के छात्रों का वाइवा एग्जाम लिया जा सकता है.



  • एमफिल या पीएचडी के छात्रों को छह महीने का विस्तार दिया जा सकता है.



  • एग्जाम और एकेडमिक गतिविधियों से संबंधित छात्रों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक COVID-19 सेल सभी university  में बनाई जाएगी. university इसके बारे में छात्रों तक प्रभावी तरीके से सूचना पहुंचाएगी. इसके लिए एक help line  भी जारी किया जाएगा.

https://twitter.com/HRDMinistry/status/1255519755634696194?s=19



ये प्रावधान केवल चालू शैक्षणिक सत्र (2019-20) के लिए COVID-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं.


परीक्षाओं और एकेडमिक कैलेंडर के अलावा भी यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के लिए कुछ गाइडलाइन जारी किए हैं. जैसे-


  • विश्वविद्यालय अगर चाहें तो हफ्ते में 5 की जगह 6 दिन क्लास शुरू कर सकते हैं.


लैब वर्क के रिकॉर्डेड विजुअल्स, वर्चुअल लैब के जरिए प्रैक्टिकल एक्सपेरिमेंट का एक्सपोजर दिया जा सकता है.


  •  विश्वविद्यालयों को ई-कंटेंट/ई-लैब एक्सपेरिमंट तैयार करना चाहिए और अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करना चाहिए.


  • यूनिवर्सिटी स्टाफ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन टीचिंग टूल्स और वर्चुअल क्लासरूम के उपयोग की ट्रेनिंग देनी चाहिए.


  • काउंसलिंग सिस्टम को मजबूत बनाना चाहिए.

यूजीसी का कहना है कि वर्तमान स्थिति और भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए विश्वविद्यालय पारदर्शी तरीके से इन दिशा निर्देशों को अपना सकते हैं. विश्वविद्यालय छात्रों की तैयारी के स्तर, आवासीय स्थिति,उनके नगर/क्षेत्र/राज्य में फैले कोविड-19 महामारी की स्थिति का आंकलन करने के बाद इसमें बदलाव कर सकते हैं.

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